स्वतंत्र एजेंसी देखेगी पुलिस पेपर लीक केस, एसआईटी पर उठ रहे सवालों पर अटकलें तेज

मुख्यमंत्री के शिमला लौटने के बाद होगा यह फैसला
राज्य ब्यूरो प्रमुख—शिमला
पुलिस पेपर लीक केस को राज्य सरकार किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंप सकती है। इस बारे में मुख्यमंत्री के शिमला लौटने का इंतजार हो रहा है और अगले एक-दो दिन में फैसला हो जाएगा। ऐसा सरकार को दो वजहों से करना पड़ रहा है। पहली वजह यह है कि पुलिस के पेपर लीक की जांच पुलिस ही क्यों करेघ् दूसरी वजह हाई कोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर दर्ज हुई याचिका भी है, जिसमें पुलिस भर्ती और एसआईटी में शामिल एक आईपीएस को लेकर सवाल उठाए गए हैं। दरअसल राज्य सरकार नहीं चाहती कि इस मामले में कोई ऐसा संदेश लोगों के बीच जाए, जिसमें ऐसा लगे कि सरकार किसी को बचा रही है। मुख्यमंत्री ने पहले दिन से ही साफ कर दिया था कि इस केस में एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच आगे बढ़ेगी और जो भी दोषी होगा, उसको सजा दिलाई जाएगी। लेकिन जांच का जिम्मा उसी पुलिस को देने पर सवाल उठ रहे हैं, जिसका पेपर लीक हुआ है।
एसआईटी अभी तक राज्य सरकार को यह रिपोर्ट नहीं दे पाई है कि पेपर की लीकेज किस स्तर पर और किस वॉल्यूम में हुई है। अभी यह भी पता नहीं चला है कि पेपर के लिए वित्तीय लेनदेन किसने और कितना किया है। यदि यह लेनदेन राज्य के बाहर हुआ तो फिर किसी नेशनल एजेंसी का रोल भी इस केस में आ जाएगा, लेकिन फिलहाल राज्य सरकार किसी स्वतंत्र एजेंसी को लेकर विचार कर रही है, जो पुलिस के अलावा हो। इस बारे में मुख्यमंत्री मुख्य सचिव और गृह विभाग के बीच में चर्चा हो गई है। लेकिन फैसले के लिए सीएम के लौटने का इंतजार किया जा रहा है। उधर, हाई कोर्ट में इस केस को लेकर दायर याचिका में सीबीआई जांच की मांग की गई है, जिसमें 26 मई को सुनवाई रखी गई है। हालांकि अभी राज्य सरकार को इसमें नोटिस नहीं हुआ है, लेकिन राज्य सरकार चाहती है कि इस केस की सुनवाई से पहले पूरे मामले को क्रेक कर दिया जाए, ताकि गुनहगार लोगों के सामने हों। इस याचिका में आईपीएस अधिकारी रोहित मालपानी को लेकर सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि पुलिस अफसर पुलिस भर्ती चयन बोर्ड में शामिल थे। बाद में उनको ही जांच के लिए गठित एसआईटी में रख लिया गया। ऐसे में जांच निष्पक्ष कैसे होगी।