सेना की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय निर्भरता-2

By: May 28th, 2022 12:05 am

जब बात देश की सुरक्षा या सेना की निर्भरता की आती है तो यह बात बिल्कुल इत्तेफाक रखती है कि जब आपका अपना घर मजबूत हो और आप अपने घर को अपने हिसाब से आत्मनिर्भर होकर चला रहे हों तो कोई भी आपका बुरा चाहने वाला आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता। भारत को भी आजादी के पौने शतक के बाद अब अपने घर को अपने हिसाब से मजबूत करना पड़ेगा। हमारी सेना के पास हथियार, हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर, हमारा व्यवसाय इस सब के ज्यादातर हिस्से पर नियंत्रण हमारे अपने हाथ में होना चाहिए, न कि किसी विदेशी या बाहरी ताकत के हाथ में, जो जरूरत पड़ने पर हमें अपने हिसाब से दबाव में या अपने ढंग से न चला सके। आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए यह जरूरी है कि कुछ हिस्से में विदेशी कंपनियों या विदेशी व्यवसायों को जगह देनी चाहिए, पर यह सब ऐसे नियम और कानूनों के अंतर्गत होना चाहिए कि वे विदेशी कंपनियां या व्यवसाय ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह धीरे-धीरे हमारी मुख्य आर्थिक व्यवस्था पर नियंत्रण न कर लें।

इसके अलावा हमारी सेना के पास स्वदेशी हथियारों का होना ज्यादा जरूरी है। हमारे वैज्ञानिक और शस्त्र निर्माण संस्थाओं को विदेशी हथियारों पर ज्यादा तवज्जो देने के बजाय उसी तरह के हथियारों को भारत में खुद निर्मित करने के लिए काम करना चाहिए, समय के हिसाब से चाहे कुछ हिस्सा हमें विदेशी हथियारों की टेक्नीक के आधार पर ही क्यों न बनाना पड़े, पर मुख्य लक्ष्य स्वदेशी हथियारों का निर्माण होना चाहिए। शायद इसी कड़ी में देश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस के नए संस्करण को स्वदेशी मिसाइल राडार और अन्य हथियारों से लैस किया जा रहा है। इस लड़ाकू विमान को स्वदेशी हथियारों से लैस कर भारत दुनिया को अपनी आत्मनिर्भरता का भी एहसास करवा रहा है। तेजस के नए संस्करण में एलसीए एमके-1 को पूरी तरह से स्वदेशी हथियारों से लैस किया जा रहा है।

 अगले तीन महीनों में देश में बनी मिसाइल अस्त्र के परीक्षण भी तेजस के लिए किए जा सकते हैं। अस्त्र नजदीक और दूर तक लक्ष्य को भेदने वाली मिसाइल है जिसका निर्माण डीआरडीओ ने किया है और इसको सुखोई पर भी फिट किया गया है। अस्त्र मिसाइल हवा से हवा में 10 से 120 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को भेदने में कारगर है। इस मिसाइल को अभी नौसेना के लिए सतह से हवा में मार करने के लिए भी तैयार किया जा रहा है। तेजस के लिए एक राडार भी तैयार किया गया है जिसकी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह लड़ाकू विमान में इस्तेमाल किए जाएंगे। इसका काम न सिर्फ हवा में मौजूद लक्ष्य की जानकारी देना है, बल्कि जमीन और समुद्र में मौजूद लक्ष्य की भी सूचना प्रदान करता है। इसलिए इस राडार को भी तेजस में स्थापित करने से तेजस और भी सशक्त बन जाएगा।  तेजस में ऑनबोर्ड ऑक्सीजन पैदा करने वाला भी सिस्टम स्थापित किया गया है। इसका निर्माण भी डीआरडीओ ने किया है। तेजस  निर्माण का करीब 40 फीसदी हिस्सा विदेशी हथियारों और कल-पुर्जों के साथ किया गया है, जबकि 60 फीसदी स्वदेशी है। वायु सेना को अब तक 30 तेजस दिए जा चुके हैं जबकि 10 अगले 2 साल में दे दिए जाएंगे। वायु सेना स्वदेशी हथियारों से लैस तेजस के नए संस्करण के 83 विमान खरीदेगी जो वायु सेना में पुराने पड़ चुके मिग विमानों से बदली होंगे और अगले पांच-छह साल में इन विमानों के मिल जाने पर मिग के चार स्क्वैड्रन हटाकर तेजस के 4 स्क्वैड्रन बना दिए जाएंगे।

कर्नल (रि.) मनीष

स्वतंत्र लेखक


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App