तेल की वैश्विक कीमतों पर निर्भर करेगा देश का आर्थिक विकास

नई दिल्ली। उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर के 7.4 प्रतिशत से 8.2 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताते हुए आज कहा कि यह वैश्विक तेल की कीमतों पर निर्भर करता है। सीआईआई के नवनियुक्त अध्यक्ष संजीव बजाज ने कार्यभार संभालने के बाद पहली बार संवाददाताओं से चर्चा में यह अनुमान जताते हुये कहा कि वैश्विक कारकों से होने रहे उतार चढ़ाव और महंगाई को सशक्त सुधारों से काबू में किया जा सकता है तथा आर्थिक विकास की संभावनाओं को पूरा किया जा सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने सरकार को वित्त वर्ष 2032 तक देश को 9 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 10 सूत्री नीति ऐजेंडे का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि घरेलू और बाहरी क्षेत्रों में सुधारों से आर्थिक विकास की संभावनाओं को बल मिलेगा। लघु काल में विकास को गति देने के लिए सरकारी पूंजी निवेश, निजी क्षेत्र निवेश सहायक हो सकता है, क्योंकि इससे कुछ क्षेत्रों में मांग बढ़ाने में मदद मिली है।
इसके साथ ही उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) से अन्य क्षेत्रों को भी मदद मिली है। बेहतर मानसून से कृषि पैदावार भी बंपर होने और निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है। उन्होंने महंगाई को तत्काल काबू में करने के लिए ईधन उत्पादों पर कर को नरम करने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि इसमें पेट्रोल और डीजल की सबसे अधिक हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि सीआईआई केन्द्र और राज्यों को भी इन शुल्कों में कमी करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
श्री बजाज ने वर्ष 2030-31 तक देश को नौ लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था और वर्ष 2026-27 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की रूखरेखा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भारत की आजादी का 100 वर्ष पूरे होंगे तब 2047 में भारत की अर्थव्यवस्था के 40 लाख करोड़ डॉलर के होने की पूरी क्षमता है।
उन्होंने विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को विकास के दो इंजन बताते हुए उन्होंने कहा कि पीएलआई योजना से वित्त वर्ष 2048 तक विनिर्माण क्षेत्र की जीवीए में हिस्सेदारी बढ़कर 27 प्रतिशत हो सकती है। इसी तरह से सेवा क्षेत्र की भागीदारी भी 53 से 55 प्रतिशत तक हो सकती है। उन्होंने सरकार और उद्योग को समान साझेदार बताते हुए कहा कि जीडीपी में निर्यात की हिस्सेदारी बढऩी चाहिए।