आयकर रिटर्न भरना आसान घबराने की जरूरत नहीं

By: Jun 20th, 2022 12:08 am

आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है किंतु कुछ लोग इससे बेवजह घबराते हैं। प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ यह प्रक्रिया सरल बन गई है, फिर भी कई लोग स्वयं रिटर्न भरना कठिन समझते हैं। यदि आप पहली बार रिटर्न भर रहे हैं या उनमें से हैं जो इस प्रक्रिया को आखरी समय तक टालते रहते हैं, तो इस बात की संभावना है कि आप कुछ गलतियां कर बैठें।

लेखक : करुणेश देव

कुछ ऐसी गलतियां जिनसे बचना है जरूरी

गलत आईटीआर फॉर्म चुनना: जैसा कि आप जानते हैं, अलग-अलग व्यक्तियों के लिए आय के स्रोत और करदाता प्रकार (कर्मचारी या व्यापारी आदि) के अनुसार अलग-अलग आईटीआर फॉर्म होते हैं। यदि आप आयकर रिटर्न सही ढंग से भरते हैं, लेकिन गलत फॉर्म का उपयोग करते हैं, तो इसे आयकर विभाग द्वारा दोषपूर्ण माना जाएगा और बाद में ऐसे दोषपूर्ण रिटर्न को सुधारने की आवश्यकता होगी।

गलत आकलन वर्ष चुनना: आयकर दाखिल करने की प्रक्रिया सही निर्धारण वर्ष (असेस्मेंट ईयर) का चयन करने से आरंभ होती है। आपको पता होना चाहिए कि वित्तीय वर्ष और निर्धारण वर्ष के बीच अंतर होता है। वित्तीय वर्ष वह वर्ष है, जिसमें आय अर्जित की जाती है, जबकि निर्धारण वर्ष वह अवधि होती है, जिसके दौरान वित्तीय वर्ष से अर्जित आय का टैक्स के लिए आकलन किया जाता है। आइए एक उदाहरण लेते हैं, वित्तीय वर्ष पहली अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022 में आपने अपनी आय अर्जित की है, जिसमें वेतन के अलावा बैंक एफडी पर ब्याज, पूंजीगत लाभए किराए से आय आदि शामिल होंगे। इस वित्तीय वर्ष 2021-22 में अर्जित आय का आयकर के लिए आकलन आप पहली अप्रैल, 2022 के बाद करते हैं, जो आकलन वर्ष कहलाता है। आय निर्धारण वर्ष का चयन करते समय आपको सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इसके गलत चयन से गलत फाइलिंग, आईटीआर जमा करने में देरी और जुर्माना भी वसूला जा सकता है।

बचत खाते का ब्याज घोषित नहीं करना: ब्याज आय को टैक्स रिटर्न में अवश्य दर्शाया जाना चाहिए और अन्य स्रोतों से आय के रूप में दिखाया जाना चाहिए। इसी तरह डाकघर योजनाओं और कुछ छोटी बचत योजनाओं पर अर्जित ब्याज पूरी तरह से कर योग्य है और रिटर्न दाखिल करते समय इसकी सूचना दी जानी चाहिए। अगर किसी वित्तीय वर्ष में सावधि जमा या आवर्ती जमा से ब्याज 10000 रुपए से अधिक है, तो बैंक टीडीएस काटता है। यह फॉर्म 26एएस में वर्ष के दौरान अर्जित अन्य ब्याज आय के साथ दर्शाया जाता है। टीडीएस का अर्थ यह नहीं है कि आगे कोई कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं है। टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय इसकी सूचना अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए।

सभी आय स्रोतों का खुलासा नहीं करना: आपको टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय सभी प्रकार की आय का खुलासा करना सुनिश्चित करना चाहिए, चाहे वह कर योग्य हो या छूट के। यदि वह आय कर मुक्त है, तब भी इसे आपको रिटर्न में दर्शाना होगा। आय के किसी भी स्रोत का उल्लेख करने में विफल रहने पर आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। आयकर रिटर्न में सभी आय स्रोतों का उल्लेख करने में विफलता को आय छिपाना माना जाता है।

फॉर्म 26एएस के साथ टीडीएस का मिलान न करना: आपको आईटीआर फाइल करने से पहले फॉर्म 26एएस की जांच कर लेनी चाहिए। फॉर्म 26एएस में आपकी सभी आय का विवरण और स्रोत पर कर कटौती प्रविष्टियां शामिल होती हैं। इस फॉर्म को ई-फइलिंग पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है। जहां नियोक्ता ने आपके वेतन पर स्रोत पर कर कटौती की हो, उसे नियोक्ता द्वारा जारी किए गए फॉर्म 16 से सत्यापित किया जा सकता है। फॉर्म 26एएस की जांच करते समय आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी आवश्यक टैक्स क्रेडिट हैं अन्यथा आपको कर कटौती का लाभ नहीं मिलेगा, जो फॉर्म 26एएस में उल्लिखित नहीं हैं।

चलते-चलते

चाहे आप स्वयं रिटर्न भर रहे हैं या किसी की सहायता से, अंतत: इसकी जिम्मेदारी आय करदाता के रूप में आपकी ही है।

संपर्क: karuneshdev@rediffmail.com

नोट : यहां दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य से दी गई है। किसी भी निवेश से पहले उसकी पूरी जानकारी अवश्य लें।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App