राजधानी के वार्डों का पुराना डिलिमिटेशन ही सही

By: Jun 26th, 2022 12:45 am

जिला प्रशासन के पुनर्सीमांकन के लिए अपनाए गए सभी नियम ठीक; नहीं निकला कोई खोट, मामले पर हुई खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली बात

संतोष कुमार-शिमला
शिमला शहर के वार्डों के पुनर्सीमांकन को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहे द्वंद का परिणाम शून्य ही रहा है। यानि खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत यहां सामने आई है, जिसमें नगर निगम चुनाव प्रक्रिया में ही विलंब हुआ है, जबकि डिलिमिटेशन के लिए जिला प्रशासन द्वारा तय किए गए फॉर्मूले को पहले ही सही माना था, जबकि उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद दूसरी बार की गई सुनवाई में ही पहले ही जारी किए गए डिलिमिटेशन को सही ठहराया गया है। जानकारी के अनुसार नगर निगम शिमला के वार्डों के पुनर्सीमांकन को उच्च न्यायालय में चुनौती देने और हाईकोर्ट द्वारा जिला प्रशासन को इस मामले की पुन: सुनवाई करने के बाद भी परिणाम बेनतीजा ही रहा है। यानि चुनाव प्रक्रिया में यह सारी प्रक्रिया बाधक बनी है और डिलीमिटेशन के लिए पहले ही अपनाए गए नियमों को दूसरी बार की गई सुनवाई में भी यथावत रखा गया है। यानि डीसी शिमला द्वारा उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद दूसरी बार की गई सुनवाई में यथास्थिति बनाई है कि पहले किए गए पुनर्सीमांकन के लिए अपनाए गए सभी नियम सही हंै और इसमें किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं हुआ है। यानि नगर निगम शिमला के चुनाव के लिए पुनर्सीमांकन के पहले के आदेश ही जारी रहेंगे, क्योंकि डीसी शिमला ने हाईकोर्ट के आदेशों के बाद दूसरी बार नाभा और बालूगंज वार्ड की आपत्तियां सुनीं, जिसके उपरांत आपत्तियों में कोई मैरिट न पाते हुए पहले ही जारी किए गए निर्णय को ही सही ठहराया है। उच्च न्यायालय ने 3 जून को आदेश पारित करते हुए डीसी को पुन: आपत्तियों की सुनवाई करने के लिए कहा था। इस पर नाभा वार्ड के पुनर्सीमांकन के फैसले पर उपायुक्त ने साफ कहा कि याचिकाकर्ता की आपत्तियों में कोई मैरिट नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है। नाभा वार्ड से पार्षद सिमी नंदा ने याचिका दाय कर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि राजनीतिक आधार पर उनके वार्ड का पुनर्सीमांकन किया गया है। समरहिल वार्ड के पुनर्सीमांकन पर भी कोई बदलाव नहीं होगा। …(एचडीएम)

…तो हुई वक्त की बर्बादी
सियासी जानकारों का मानना है कि यह सारी प्रक्रिया नगर निगम चुनाव प्रक्रिया में ही बाधक बनी है। यदि इसमें कुछ सामने ही नहीं आना था और पहले से ही किया गया पुनर्सीमांकन दूसरी बार भी वही रहना है तो वक्त की ही बर्बादी हुई है। वहीं, इस बारे में जानकारी देते हुए आदित्य नेगी, जिलाधीश शिमला ने कहा कि पूर्व में किए गए पुनर्सीमांकन के दौरान सभी पैरामीटरों को फॉलो किया गया है और याचिककर्ताओं द्वारा कोई दलील सही ढंग से पेश नहीं हो सकी है, जिसके चलते दूसरी सुनवाई में भी इनकी याचिका खारिज कर दी गई है और जिला प्रशासन ने अपना फैसला राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दिया है।


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