शनि अमावस्या पर करें शनि देव की आराधना

By: Jun 25th, 2022 12:29 am

शनि अमावस्या के दिन भगवान सूर्य देव के पुत्र शनि देव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। किसी माह के जिस शनिवार को अमावस्या पड़ती है, उसी दिन ‘शनि अमावस्या’ मनाई जानी है। यह पितृकार्येषु अमावस्या और शनिश्चरी अमावस्या के रूप में भी जानी जाती है। कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए शनि अमावस्या एक दुर्लभ दिन व महत्त्वपूर्ण समय होता है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिंदू मान्यताओं में शनि अमावस्या की काफी महत्ता बतलाई गई है। इस दिन व्रत, उपवास और दान आदि करने का बड़ा पुण्य मिलता है…

भाग्य विधाता शनि देव

भगवान सूर्य देव के पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। यह सही है कि शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है, लेकिन शनि देव मनुष्यों के कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। भगवान शनि देव भाग्य विधाता हैं। यदि निश्छल भाव से शनि देव का नाम लिया जाए तो व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं।

पितृदोष से मुक्ति

हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्त्व है और अमावस्या यदि शनिवार के दिन पड़े तो इसका महत्त्व और भी अधिक बढ़ जाता है। शनि देव को अमावस्या अधिक प्रिय है। उनकी कृपा का पात्र बनने के लिए शनिश्चरी अमावस्या को सभी को विधिवत आराधना करनी चाहिए। भविष्यपुराण के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या शनि देव को अधिक प्रिय रहती है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृदोष या जो भी कोई पितृ दोष की पीड़ा को भोग रहे होते हैं, उन्हें इस दिन दान इत्यादि विशेष कर्म करने चाहिए। यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनि देव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बड़ी सहजता से हो जाता है।

पूजन विधि

शनि अमावस्या के दिन पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और दर्शन करना चाहिए। शनि देव को नीले रंग के पुष्प, बिल्व वृक्ष के बिल्व पत्र, अक्षत अर्पण करें। भगवान शनि देव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन सरसों के तेल, उड़द की दाल, काले तिल, कुलथी, गुड़, शनि यंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनि देव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तैलाभिषेक करना चाहिए। शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा, हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए। जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो, उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनि देव का विधिवत पूजन करना चाहिए।


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