एमएस बनने के बाद भी डाक्टर रमेश चौहान दे रहे सेवाएं

By: Jul 2nd, 2022 12:54 am

हड्डियों के विशेषज्ञ होने के कारण आफिस के बाहर लगी रहती है लाइन, परिवार की तरह मरीजों का रखते हैं ख्याल

सुरेंद्र ठाकुर- हमीरपुर
डाक्टर राधाकृष्णन मेडिकल कालेज एवं अस्पताल हमीरपुर के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डाक्टर रमेश चौहान आज भी अपने आफिस में मरीजों को देखते हैं। परिवार के सदस्यों की तरह मरीजों का ख्याल रखने वाले डा. चौहान के आफिस के बाहर चेकअप के लिए मरीजों की लाइन लगी रहती है। मेडिकल सुपरिटेंडेंट होने के बावजूद भी वह मरीजों का मर्ज दूर करने के लिए निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ारती पर यदि किसी को भगवान की संज्ञा दी गई है तो वह डाक्टर है, क्योंकि डाक्टर तकलीफ में मरीज का इलाज कर उसे दर्द से छुटकारा दिलाता है। डाक्टर चौहान जहां एक तरफ अस्पताल प्रबंधन का जिम्मा सभांले हुए हैं, वहीं हड्डी रोगों से जूझ रहे मरीजों को भी उपचार के लिए आफिस ही बुला लेते हैं। यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश के हरेक कोने से मरीज हड्डियों का चेकअप करवाने के लिए उनके पास पहुंचते हैं। बड़ी बात यह है कि जब तक वह सभी मरीजों का चेअकप नहीं कर लेते अपने आफिस से बाहर नहीं निकलते। आफिस से बाहर निकलने पर भी रास्ते में चलते चलते ही मरीजों की रिपोट्र्स देख लेते हैं। इससे यही साबित होता है कि वे मरीजों की अपने पारिवारिक सदस्य की तरह केयर करते हैं। आज भी प्रदेश के बाहर रहने वाले कई लोग हड्डी रोग संबंधित सलाह उनसे दूरभाष पर ही ले लेते हैं।

उनकी सादगी व मिलनसार स्वभाव ने उन्हें अलग पहचान दी है। डाक्टर रमेश चौहान हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं। उन्होंने वर्ष 1988 में सिविल अस्पताल सरकाघाट से अपनी सेवाएं शुरू की थी। मंडी जिला के अधिकांश लोग आज भी हड्डी रोगों का उपचार करवाने के लिए हमीरपुर ही पहुंचते हैं। सरकाघाट का बच्चा-बच्चा डा. रमेश चौहान को जानता है। सरकाघाट में कई वर्षों तक सेवाएं देने के बाद उन्होंने शिमला आईजीएमसी तथा शिमला के ही रिपन अस्पताल में वर्षों तक अपनी सेवाएं प्रदान की। वर्ष 2008 में उन्होंने हमीरपुर अस्पताल में अपनी सेवाएं देना शुरू किया। वर्षों सेवारत रहने के उपरांत उन्हें मेडिकल सुपरिटेंडेंट बनाया गया है। क्षेत्रीय अस्पताल के प्रबंधों की जिम्मेदारी संभालने के बाद भी उन्होंने अपने प्रोफेशन से तौबा नहीं की। क्षेत्रीय अस्पताल के प्रबंधों की जिम्मेदारी के साथ ही वह एमएस आफिस में मरीजों का उपचार भी करते हैं। हड्डी रोगों से संबंधित मरीजों की रोजाना उनके आफिस के बाहर कतार लगी रहती है। कोई अपनी रिपोट्र्स दिखाने के लिए पहुंचता है तो किसी को हड्डियों की समस्या बतानी होती है। उनके शानदार व्यक्तित्व व हड्डी रोगों के उपचार में महारत हासिल होने के कारण हड्डी रोग से जूझ रहा मरीज डा. चौहान के पास ही पहुंचना चाहता है। (एचडीएम)

क्या कहते हैं डाक्टर रमेश चौहान

जब मेरे द्वारा दिए गए उपचार से मरीजों की हड्डियों का दर्द ठीक होता है, तो मन को सुकून मिलता है। हड्डी रोगों से संबंधित जो भी मरीज आता है वह तकलीफ में ही होता है। ऐसे में डाक्टर का पहला फर्ज यही है कि उस मरीज का मर्ज दूर किया जाए। बेशक अस्पताल के प्रबंधों की जिम्मेदारी है, लेकिन डाक्टर होने के नाते मरीजों का इलाज करना भी फर्ज है। मरीज काफी उम्मीद लेकर पहुंचते हैं, उनकी उम्मीद पर पूरी तरह से खरा उतरूं यही कोशिश रहती है।


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