राहत नहीं, तो काम भी नहीं, एचआरटीसी कंडक्टर यूनियन में वेतन विसंगति दूर न करने पर रोष
स्टाफ रिपोर्टर — शिमला
एचआरटीसी कंडक्टर यूनियन ने ऐलान किया है कि अगर सरकार की ओर से 12 जुलाई तक नए वेतन आयोग में एचआरटीसी कंडक्टरों को आ रही वेतन विसंगति को दूर नहीं किया गया, तो फिर एचआरटीसी कंडक्टर सेवाएं नहीं देंगे। एचआरटीसी कंडक्टर्ज ने नए वेतन आयोग में आ रही विसंगति को दूर करने के लिए सरकार को 12 जुलाई तक का समय दिया है। सोमवार को शिमला में एचआरटीसी कंडक्टरों की ओर से एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में पूरे प्रदेश से करीब 700 कंडक्टर मौजूद रहे। एचआरटीसी कंडक्टर यूनियन के प्रांतीय प्रधान कृष्ण चंद ने बताया कि नए वेतन आयोग के लागू होने से कंडक्टरों का वेतन बढऩे के बजाय घट रहा है। पहले कंडक्टरों को जहां 2400 रुपए ग्रेड-पे दिया जाता था, तो वहीं नए वेतन आयोग के लागू होने से इन्हें सिर्फ 1900 का ही ग्रेड-पे मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि एचआरटीसी कंडक्टरों को 1996 तक सात श्रेणियों को एक समान वेतन मिलता था। इनमें पटवारी, क्लर्क, फोरेस्ट गार्ड, कंडक्टर व अन्य श्रेणियां थी, लेकिन 2006 के बाद कंडक्टरों को इस श्रेणी से हटा दिया गया है। उन्होंने मांग उठाई है कि कंडक्टरों को 2006 से पहले की तरह इन सभी श्रेणियों के बराबर ग्रेड-पे दिया जाए। हिमाचल पथ परिवहन संघ के शिमला ग्रामीण के प्रधान दिपेंद्र कुमार सहित अन्य परिचालक अवलेश, राहुल, अतुल का कहना है कि परिचालक जब तृतीय श्रेणी में आते हैं, तो उन्हें चतुर्थ श्रेणी का वेतन क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कैसा छठा वेतन आयोग की सिफारिशें हैं, जिससे बढ़ाने के बजाय कम कर दिया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पहले की तर्ज पर परिचालक वर्ग को लिपिक वर्ग के समान वेतन दिया जाए संघ पदाधिकारियों ने प्रबंधन व सरकार से एक व दो दिनों में वेतन विसंगतियों को ठीक करने की मंाग की है।
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