डीआई लैब बनने से सुंदरनगर में होगा अब पशुओं का इलाज
उप मंडलीय पशु अस्पताल सुंदरनगर में मिलेगी सुविधा, पशुओं में फैली गंभीर बीमारियों के लिए जागाएंगे सैंपल
जसवीर सिंह-सुंदरनगर
पशुपालन विभाग के उप मंडलीय पशु अस्पताल सुंदरनगर के साथ ही डीआई (डिसिसज इंफेंक्शन) लैब दो लाख रुपए की लागत से बनने जा रही है। जिसके बनने से अब पशु पालकों को यहां से ही संंबंधित पशुओं की बीमार की स्थिति जल्द ही पता चल सकेगा। सैंपल इसी लैब से प्राप्त होने से समय पर पशुओं का समय पर उपचार हो सकेगा। पहले यह सुविधा जिला मंडी के उपनिदेशक कार्यालय में थी। वहीं उप मंडलीय पशु अस्पताल सुंदरनगर सहित अधीन आने वाले पशु अस्पताल और वैटरिनरी डिस्पेंसरी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की खाली चल रहे पदों से की समस्या से जूझ कर रह गए हैं। मात्र वर्तमान में वैटरिनरी अस्पताल और डिस्पेंसरी सहित एकमात्र उपमंडल स्तरीय वैटरिनरी हॉस्पिटल में ही 2 पद वर्तमान में भरे हुए हैं और बाकी अन्य फील्ड के सभी वैटरिनरी हॉस्पिटल और वैटरिनरी डिस्पेंसरी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 82 पद खाली पड़े हैं। भले ही अन्य सीनियर वैटरिनरी ऑफिसर, वैटरिनरी फार्मासिस्ट वैटरिनरी ऑफिसर सहित अन्य एनिमल हसबेंडरी असिस्टेंट, पंचायत वैटरिनरी सहायक के पद अवश्य ही भरे हैं। लेकिन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद खाली होने से इस वर्ग के काम को खुद ही वैटरिनरी ऑफिसर और फार्मासिस्ट करने को विवश होते नजर आए हैं।
इतना ही नहीं बल्कि मिनिस्ट्रीयल स्टाफ का काम उपनिदेशक कार्यालय को छोडक़र अन्य सभी सब डिविजनल वैटरिनरी हॉस्पिटल और फील्ड में वैटरिनरी हॉस्पिटल वैटरिनरी डिस्पेंसरी में वैटरिनरी फार्मासिस्ट को ही करना पड़ रहा है। जिसे जहां आम जन को पशुपालकों को पेश आ रही समस्याओं का समाधान यह वर्ग करें या मिनिस्ट्रियल स्टाफ के कार्यालय कामकाज की व्यवस्था को संभाले। तो दूसरी ओर लंपी संक्रमण की चपेट में आने से प्रदेश व जिले का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं रहा है। जिसकी चपेट में पशुधन नहीं आया है। वर्तमान में बात की जाए तो उपमंडल स्तरीय पशु अस्पताल सुंदरनगर के अधीन आने वाले विभिन्न पशु चिकित्सालय पशु औषधालय में अब तक 8 से 10 के तकरीबन पशुधन की इस संक्रमण की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। जबकि 1500 पशुधन संक्रमण की चपेट में आने से उपचाराधीन हैं। इनमें से कई पशु स्वस्थ भी हुए हैं। लेकिन अधिकतर संक्रमण की चपेट में आने से प्रभावित होकर रह गए हैं। (एचडीएम)
घरद्वार मिल रही कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था
केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं पर नजर डाली जाए तो राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान योजना सभी वर्गों से संबंधित पशुपालकों के लिए लागू की गई है। जिसमें पशुपालकों को घरद्वार पर रोक कृत्रिम गर्भधारण की सुविधा प्रदान की जा रही है। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण योजना के तहत मुक्त रोग प्रतिरोध टीकाकरण की सुविधा प्रदान की जा रही है। ग्रामीण आंगनबाड़ी बकरी पालन विकास योजना के तहत सभी श्रेणी के बीपीएल को 95 फीसदी अनुदान पर 11 बकरी इकाई इसमें 10 मादा एक नर शामिल है।
पशुधन योजनाओं पर मिल रहा 50 फीसदी अनुदान
राष्ट्रीय पशुधन योजना के तहत उद्यमी विकास योजना चलाई जा रही है। जिसमें ग्रामीण मुर्गी पालन के अंतर्गत उद्यमी विकास योजना में प्रशिक्षित व्यक्ति स्वयं सहायता समूह किसान उत्पादक संघ संयुक्त देयता समूह को 1 हजार पेरेंट मुर्गी फार्म ग्रामीण हैचरी मदर इकाई की स्थापना के लिए केंद्र सरकार द्वारा 50 फीसदी अथवा अधिकतम 25 लाख तक का पूंजी अनुदान प्रदान किया जाता है। ओर भेड़ बकरी पालन के अंतर्गत विकास योजना में 500 मादा और 25 नर की क्षमता के भेड़ बकरियों के प्रजनन केंद्र पर भी विशेष अुनदान मिल रहा है।
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