एम्स…डाक्टर कम…मरीज तंग

By: Nov 30th, 2022 12:21 am

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप सांख्यान ने एम्स की व्यवस्था पर उठाए सवाल; बोले, मरीजों की होती है अनदेखी, सुविधाएं सिफर

दिव्य हिमाचल ब्यूरो- बिलासपुर
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप सांख्यान ने एम्स की व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि एम्स सीनियर रेजिडेंट की कमी से जूझ रहा है जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मरीजों की अनदेखी की जा रही है और ओपीडी के बाहर भी मरीजों के बैठने के लिए व्यापक इंतजाम नहीं किए गए हैं। यहां जारी बयान के माध्मय से उन्होंने कहा कि एम्स में सुबह सात बजे से मरीज प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों से आते हैं, लेकिन चिकित्सक अपनी मन मुताबिक ही ओपीडी में बैठते हैं और ओपीडी के बाहर की हालात ऐसी है कि मरीजों को बैठाने तक की व्यवस्था भी ठीक नहीं है या फिर आधी अधूरी है।

एम्स के ओपीडी में जो फर्नीचर की सप्लाई की गई है, उसकी क्वालिटी भी इतनी घटिया है कि इसकी जांच की जानी अति आवश्यक है। अगर एम्स की ओपीडी के डाक्टर के साथ अटैचड अटेंडेंट से बात करें कि चिकित्सक अभी तक क्यों नहीं आए तब उनका जबाब आता है कि वह अभी आ जाएंगे, लेकिन चिकित्सक १० या १०:३० बजे से पहले ओपीडी में नहीं पहुंचते है और सुबह सात बजे से आए पंजीकरण के लिए खड़े मरीजों को एक लंबा इंतजार करवाया जा रहा है, बहुत सी ओपीडी एक ही चिकित्सक के सहारे चल रही है। एम्स के किसी भी विभाग में चिकित्सक अभी तक पूरे नहीं हैं, ओपीडी सिर्फ जूनियर चिकित्सकों के सहारे चलाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि एम्स की चिकित्सा व्यवस्था में सीनियर रेसिडेंट चिकित्सकों की भारी कमी देखी जा सकती है, जबकि सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सक तो हैं ही नहीं। संदीप सांख्यान ने कहा कि करीब १५०० करोड़ की शुरुआती लागत से बनने वाले इस अस्पताल की व्यवस्था अभी से चरमराने लगी है। एम्स एक केंद्रीय संस्थान है, लेकिन मरीजों को जो व्यवस्थाएं और व्यवहार यहां पर मिल रहा है वह किसी भी जिला अस्पताल से बदत्तर है। एम्स में जो अप्वाइंटमेंट लेने के लिए फोन नंबर दिए हैं, उन फोन नंबरों पर कोई भी जवाब नहीं मिलता है।

एक दिन अप्वाइंटमेंट, फिर आएगा ओपीडी का नंबर

संदीप सांख्यान के अनुसार एम्स की व्यवस्था ऐसी बन चुकी है कि पहले मरीज एक दिन अप्वाइंटमेंट के लिए जाएं और उसके बाद फिर ओपीडी में दिखाएं। उन्होंने कहा कि एम्स बिलासपुर कहीं ऊंची दुकान फीका पकवान ही साबित नहीं हो। इसके अलावा एम्स बिलासपुर में जो जन औषधि केंद्र खोले गए हैं, उनमें किसी में भी केंद्र पूर्ण रूप से दवाइयों की उपलब्धता नहीं होती हैं। निजी केमिस्टों पर मरीजों को निर्भर रखना पड़ता है जो एम्स की ओपीडी करीब एक किलोमीटर की दूरी पर पर स्थित है। ऐसे में एम्स के प्रशासन को देखना होगा कि उनकी सेवाएं मरीजों तक कैसे ठीक से पहुंचाएं, नहीं तो एम्स बिलासपुर में एक बड़ी विडंबना ही साबित होगा।


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