विशेष

Himachal News: ग्लेशियर पिघलने से बनी नई झीलें मचा सकती है तबाही, रिपोर्ट में खुलासा

By: Nov 30th, 2022 12:08 am

हिमालयी क्षेत्र में चारों नदियों के बेसिन में 1475 छोटी-बड़ी झीलों का निर्माण, ग्लोबल वार्मिंग से 70 फीसदी तक बढऩे के संकेत

गिरीश वर्मा—पतलीकूहल

हिमालय क्षेत्र में तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर के कारण नई झीलों का निर्माण हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में तेजी से पिघलते ग्लेशियरों के कारण हिमालय में कुल 1475 छोटी-बड़ी झीलों का निर्माण हो चुका है और यह आंकड़ा ग्लोबल वार्मिंग के चलते एक दशक के बाद 70 फीसदी बढऩे की आशंका है। सतलुज बेसिन में 771, चिनाव में 508, ब्यास में 130 और रावी में 66 छोटी-बड़ी झीलें बन गई है। इसमें चिनाव घाटी के गीपागंगथ ग्लेशियर पिघलकर 98 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में झील फैली है। इससे हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियल लेक ऑउटब्रस्ट बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है। इससे झीलों में अत्यधिक पानी बढ़ जाने से उनके फटने का खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों द्वारा की जा रही मॉनिटरिंग और विश्लेषण के अनुसार हिमालय की ऊंचाइयों पर हो रहे इन बदलाव का मानव जीवन पर प्रभाव और इस क्षेत्र में उनके जीवन पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है।

स्टेट कांउसिंल फॅार सांइस टेक्नोलॉजी एंड एन्वायरमेंट द्वारा जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नदी बेसिन पर तेजी से निर्मित हो रही इन झीलों से बाढ़ का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। जानकार बताते हैं कि साल 2013 में उत्तराखंड में भारी वर्षा और बाढ़ से मची त्रासदी का कारण भी पिघले ग्लेशियर से बनी झीलें ही थी। (एचडीएम)

चिनाव बेसिन में 508 झीलें

वर्ष 2013 में चिनाव बेसिन पर 116 झीलें थी, जिनकी संख्या 2015 तक बढक़र 192 और वर्ष 2021 तक यह आंकड़ा 508 तक पहुंच गया है। इन 508 झीलों में से आठ झीलों का क्षेत्रफल 10 हेक्टेयर से अधिक, 20 झीलें 5 से 10 हेक्टेयर में और बाकि 480 झीलें पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल में फैली हैं।

ब्यास बेसिन पर 130 झीलें

ब्यास बेसिन में 2013 तक इन झीलों की सख्ंया 67 थी जो 2015 तक बढक़र 89 और वर्ष 2021 तक यह आंकड़ा 130 तक पहुंच गया है। इसमें 10 हेक्टेयर क्षेत्र में 6, 5 से 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 8 और 5 हेक्टेयर क्षेत्र में 116 झीलें बनी है।

रावी बेसिन पर 66 झीलें

रावी बेसिन में 2013 तक 22 झीलें ही थी, जो 2015 तक 34 और वर्ष 2021 तक यह आंकड़ा 66 का हो गया था। इसमें 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 3, 5 से 10 क्षेत्रफल में 2 और 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल में 61 झीलें बन गई हैं।

सतलुज पर 771 झीलें

सतलुज बेसिन में सबसे अधिक वर्ष 2021 तक 771 झीलों का निर्माण हो चुका है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह आंकड़ा आने वाले दस वर्ष वर्षों में 1200 के करीब पहुंच सकता हैं। दस हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में 51 झीलें, पांच से दस हेक्टेयर क्षेत्रफल के बीच 57 झीलें व पांच से कम क्षेत्रफल में 663 झीलें बनी है।

राज्य में 11 झीलों से बाढ़ का खतरा

हिमाचल प्रदेश के 249 ग्लेशियल झीलों में 11 झीलें बाढ़ लाने में उच्च क्षमता वाली पाई गई हैं। वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग के चलते ग्लेशियरों के पिघलने का कारण बताया है। ग्लोबल तापमान के बढऩे से मई-जून के महीनों में ग्लेशियरों का तीव्रता से पिघलना जारी हैं, जिस बात से हर व्यक्ति वाकिफ हैं। वैज्ञानिक बतातें हैं कि ग्लेशियरों के पिघलने के कारण झील का बनना सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इन झीलों से बरसात के दिनों बाढ़ की स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App