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जिन चेहरों पर था विश्वास, उम्मीदों पर नहीं उतरे खास

By: Nov 30th, 2022 10:48 pm

प्रदेश मेेंं 2017 के विधानसभा चुनाव में 14 बड़े नेताओं को देखना पड़ा था हार का मुंह

विशेष संवाददाता—शिमला
हिमाचल में पहली मर्तबा ऐसा हुआ है, जब सरकार बनाने से ज्यादा चर्चा मुख्यमंत्री के फेस पर हो रही है। ईवीएम का फैसला आठ दिसंबर को ही सामने आएगा और उसके लिए अभी सात दिन का इंतजार बाकी है। फिलहाल प्रदेश की सियासत में हर दौर का चुनाव एक नया अध्याय रचता रहा है। राजनीति के बड़े दिग्गज यहां उलटफेर का शिकार हो चुके हैं। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के ऐसे चेहरों को लोगों ने राजनीति से रूखस्त कर दिया जो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल थे। खासतौर पर बात महज पांच साल पहले की करें तो कई दिग्गजों की हार ने हिमाचल की राजनीति में नई पटकथा लिख दी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में 14 धुरंधर नेताओं को करारी हार देखनी पड़ी थी।

इस चुनाव में मुख्यमंत्री के घोषित चेहरे तक हार गए। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर से अपनी सीट नहीं बचा पाए, जबकि पालमपुर से पहली महिला मुख्यमंत्री और प्रेम कुमार धूमल का विकल्प नजर आ रही मौजूदा राज्यसभा सांसद इंदू गोस्वामी भी अपनी सीट नहीं बचा पाई थी। भाजपा के जिन दिग्गज नेताओं को 2017 में हार झेलनी पड़ी उनमें एक नाम कुल्लू से महेश्वर सिंह का भी है। महेश्वर सिंह कड़े मुकाबले में सुंदर ठाकुर से चुनाव हार गए थे। जोगिंद्रनगर में पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर को निर्दलीय प्रकाश राणा ने हराकर राजनीति से बाहर कर दिया। हारने वालों की इस लिस्ट में एक बड़ा चेहरा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती का भी था। उन्हें सतपाल रायजादा ने ऊना में करारी हार दी थी। इन नेताओं में से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, गुलाब सिंह ठाकुर और महेश्वर सिंह का यह आखिरी चुनाव साबित हुआ। हार के बाद यह तीनों नेता हाशिये पर चले गए और इस बार पार्टी ने इनमें से किसी पर भी दांव नहीं खेला है। (एचडीएम)

भाजपा दिग्गज

नेता विधानसभा अंतर
प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर 1919
इंदू गोस्वामी पालमपुर 4324
सतपाल सत्ती ऊना 3196
महेश्वर सिंह कुल्लू 1538
गुलाब ठाकुर जोगिंद्रनगर 6635

कांग्रेस के दिग्गज

जीएस बाली नगरोटा 1000
कौल सिंह द्रंग 6541
सुधीर शर्मा धर्मशाला 2997
चंद्र कुमार जवाली 8213
ठाकुर भरमौरी भरमौर 7349
प्रकाश चौधरी बल्ह 12811
कुलदीप कुमार चिंतपूर्णी 8579
गंगू राम मुसाफिर पच्छाद 6427
बंबर ठाकुर बिलासपुर 6862

…जब दिग्गजों की हार से चौंक गई कांग्रेस

2017 में कांग्रेस ने उन सीटों पर मात खाई थी, जिन्हें अंक गणित में जीत के दायरे पर रखा गया था। हालांकि सियासी फलसफे से पूर्व मंत्री स्व. जीएस बाली और कुलदीप कुमार को छोड़ अन्य बड़े चेहरे अब भी बरकरार हैं और लगातार चुनाव लड़ रहे हैं। उलटफेर का शिकार हुए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में बसे बड़ा नाम पूर्व मंत्री जीएस बाली का ही था। नगरोटा बगवां सीट पर भाजपा ने कभी दावा नहीं किया, लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से महज एक हजार वोट से जीएस बाली चुनाव हार गए थे। उनके अलावा धर्मशाला से पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, जवाली से पूर्व सांसद चंद्र कुमार, भरमौर से पूर्व वनमंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, द्रंग से पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, चिंतपूर्णी से कुलदीप कुमार, बल्ह से प्रकाश चौधरी, बिलासपुर से बंबर ठाकुर और पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर इस चुनाव में हारने वाले नामी चेहरे थे।

इन सभी की हार ने कांग्रेस को 2017 में सत्ता से बाहर कर दिया। मौजूदा चुनाव में कांग्रेस ने कुलदीप कुमार और गंगूराम मुसाफिर को दोबारा टिकट न देने का फैसला किया था। कुलदीप कुमार इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, जबकि गंगूराम मुसाफिर निर्दलीय मैदान में हैं। नगरोटा से जीएस बाली के बेटे आरएस बाली ने इस बार चुनाव लड़ा है।


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