16 साल से वनवास पर ग्रामीण हिमाचल भंडार

By: Nov 29th, 2022 12:18 am

सरकारों-एमसी, प्रशासन-विभागों का कारनामा, करोड़ों का भवन बना दिया खंडहर, व्यापारिक के्रंद बनाने का प्रयास भी नहीं चढ़ा सिरे, नशेडिय़ों का डेरा

नरेन कुमार-धर्मशाला
भारतीय पंरपंरा और अध्यात्म में श्रीराम को 14 वर्ष का बनवास हर किसी के स्मरण में रहता है। लेकिन देवभूमि हिमाचल प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी धर्मशाला में ग्रामीण हिमाचल भंडार गबली दाड़ी को 16 साल से भी अधिक समय से वनवास पर भेजा गया है। हैरत की ही बात है कि करोड़ों रुपए के धर्मशाला शहर के मुख्य स्थल दाड़ी में बनाए गए भवन को खंडहर बना दिया गया है। सरकारों-नगर निगम धर्मशाला एमसी, दाड़ी पंचायत, प्रशासन-विभागों का ऐसा कारनामा सामने आया है जिसमें काफी बड़े सरकारी भूमि में करोड़ों का भवन 16 वर्ष बाद भी अपनी खस्ता हालत पर आसंू बहा रहा है। वहीं धर्मशाला में ज़मीन न होने के नाम पर कई मत्वपूर्ण प्रोजेक्ट लटका दिए जाते हैं, वापस भेज दिए जाते हैं। लेकिन दूसरी ओर उपलब्ध ज़मीन पर मड हाऊस की तर्ज पर बने भवन को पहले पंचायत और अब नगर निगम ने जर्जर बना दिया है, और उसे निगलने का प्रयास कर रहे हैं।

दाड़ी बाईपास में दिव्यांग सदन के ठीक सामने वर्ष 2006 में ग्रामीण विकास अभिकरण कांगड़ा की ओर से ग्रामीण हिमाचल भंडार गबली दाड़ी में बनाया गया था। तत्कालीन उपायुक्त कांगड़ा भरत खेड़ा की ओर से पांच अप्रैल 2006 को भवन का विधिवत रूप से उदघाटन भी किया गया था। उक्त भवन को हिमाचल की पुरानी संस्कृति के तहत मड हाऊस व आधुनिकता के मिश्रण से तैयार किया गया था। जिसमें स्लेट की छत बनाई गई थी, और पत्थर व मिट्टी से भवन तैयार किया गया। इतना ही नहीं इसमें हॉल, कार्यालय, मिटिगं स्थल सहित प्रदर्शनी का भी बंदोबस्त किया गया। वर्ष 2006 में भवन को ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए एक व्यापार केंद्र उन्हें प्रदान करने का प्रयास किया गया था। लेकिन भवन को पिछले 16 वर्षों में सरकारों, विभागों-प्रशासन व जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों ने मात्र मज़ाक बनाकर ही रख दिया। कुछ अज्ञात लोग यंहा नशे का सेवन करने सहित मनमर्जी करते हैं। एमसी के ध्यान में यह आ चुका है। (एचडीएम)

क्या कहते हैं उप-महापौर सर्वनंद गलोटिया
नगर निगम धर्मशाला के उप-महापौर ,क्षेत्र के पार्षद सर्वचंद गलौटिया ने बताया कि इस भवन को लेकर पहले भी दुरूस्त करने व सही प्रयोग करने को लेकर मांग उठती रही है। एमसी के हाऊस सहित प्रबंधन से इस भवन के जीर्णोद्धार सहित उचित प्रयोग किए जाने को लेकर बात की जाएगी।

लोकल प्रोडक्ट, हस्तशिल्प के लिए बना था भवन
ग्रामीण हिमाचल भंडार के भवन में महिलाओं-युवाओं के स्वरोजगार व लोकल प्रोडक्ट, हस्तशिल्प कारिगरी को प्रदर्शित किए जाने के सही मायने में प्रयास ही नहीं हो पाए। इतना ही नहीं आज के समय में हस्तशिल्प कारिगरों और लोकल प्रोडक्ट को बेचने के लिए उधार के स्थानों व सडक़ों पर रेहड़ी-फड़ी लगाकर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ता है। भवन बेवजह से खंडहर में तबदील हो रहा है।


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