कांग्रेस के ‘सेल्फ गोल’

By: Dec 5th, 2022 12:02 am

अमरीका के राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन ने कहा है कि वह जी-20 के मंच पर अपने प्रिय मित्र प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन करने और मिलने को उत्सुक हैं। दोनों देश जलवायु, ऊर्जा और खाद्य संकट जैसी साझा चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युल मैक्रों ने जी-20 की अध्यक्षता के लिए प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी कमोबेश ऐसी ही भावनाएं प्रकट की हैं। अन्य राष्ट्राध्यक्षों और प्रधानमंत्रियों ने भी भारत की अध्यक्षता को सकारात्मक माना होगा और जी-20 मंच की सार्थकता के लिए साझा प्रयासों की बात कही होगी। इसी 1 दिसंबर से भारत जी-20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है। आगामी शिखर सम्मेलन 9-10 सितंबर, 2023 को तय किया गया है, जो राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इस अवधि के दौरान देश के प्रमुख, ऐतिहासिक शहरों में, विभिन्न विषयों पर, जी-20 के सदस्य देशों की बैठकें होंगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के जी-20 एजेंडे का समर्थन किया है।

आईएमएफ का मानना है कि भारत मौजूदा वैश्विक संकटों से जुड़े मुद्दों पर आम सहमति बनाने की योजना पर काम कर रहा है। भारत सशक्त भविष्य का सामूहिक एजेंडा देशों के सामने रखेगा, यह पूरी उम्मीद है। दरअसल यह सम्मेलन प्रधानमंत्री मोदी को नहीं, भारत राष्ट्र को मिला है। यह बारी-बारी से देशों के हिस्से आती है। भारत को भी इंडोनेशिया ने अध्यक्षता सौंपी है। यह वैश्विक जिम्मेदारी कूटनीतिक है, तो अहम मुद्दों पर सहमति बनाने की कोशिश भी है। वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका, प्रतिष्ठा और लोकतांत्रिक भारतीयता को महत्त्वपूर्ण आंका गया है, लिहाजा जी-20 की अध्यक्षता करने का दुर्लभ अवसर मिला है। दुर्भाग्य है कि कांग्रेस ने इस आधार पर भी राजनीति करने की कुंठित कोशिश की है। दरअसल कांग्रेस को ‘सेल्फ गोल’ करने में महारत हासिल है। जब से उसका बिखराव शुरू हुआ है और देश ने राजनीतिक तौर पर ‘अप्रासंगिक’ मान लिया है, तब से कमोबेश प्रधानमंत्री मोदी उसके प्रत्यक्ष निशाने पर हैं। बल्कि यह विरोध नफरत के स्तर का है। कांग्रेस की सबसे लंबे वक़्त तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े समेत प्रमुख कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया है। प्रधानमंत्री से जुड़े फैसले, घटनाक्रम और उपलब्धियों का कांग्रेस ने घोर विरोध किया है। जी-20 ताज़ातरीन मामला है। भारत फिलहाल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्यवाही की भी अध्यक्षता कर रहा है। भारत ब्रिक्स देशों के संगठन का भी नेतृत्व कर चुका है। ये सब अंतरराष्ट्रीय दायित्व रहे हैं। जी-20 समूह दुनिया के शक्तिशाली, समृद्ध, विकसित और विकासशील देशों का संगठन है।

इसमें चीन और रूस भी शामिल हैं। भारत जी-20 और जी-7 देशों के समूह का हिस्सा होने का सपना भी नहीं देख पाया था, जी-20 की अध्यक्षता तो बहुत दूर की कौड़ी थी। भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक हैसियत ही नहीं थी। आज़ादी के 75 साल बाद भारत को जी-20 देशों के सम्मेलन की अध्यक्षता का गौरवपूर्ण अवसर मिला है, तो कांग्रेस इसे क्यों नहीं समझती? इसमें कांग्रेस सरकारों के 55 सालों की हिस्सेदारी और उपादेयता भी शामिल है। कांग्रेस के मीडिया प्रकोष्ठ के प्रभारी जयराम रमेश ने हाल ही में जो बयान दिया है, उससे ध्वनित होता है कि जी-20 सम्मेलन भी प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा का कोई निजी आयोजन हो! हैरत हुई थी, जब कांग्रेस ने जी-20 के प्रतीक चिह्न ‘कमल जैसी आकृति’ पर भी आपत्ति दर्ज कराई थी। कोई भी राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रीय संदर्भ, राष्ट्रीय पहचान और राष्ट्रीय उपमाएं ‘भाजपाई’ कैसे हो सकती हैं? कांग्रेस का कुंठित आरोप था कि जी-20 का भी ‘भगवाकरण’ किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भाजपा के चुनाव चिह्न ‘कमल’ को जी-20 का प्रतीक चिह्न बनाया है। दरअसल ‘कमल’ तब से भारत का ‘राष्ट्रीय पुष्प’ है, जब भाजपा तो क्या, जनसंघ का भी जन्म नहीं हुआ था। ‘कमल’ के बजाय कांग्रेस को व्यापक संदर्भों में सोचना चाहिए था कि भारत को जी-20 के मंच से जुड़ कर क्या फायदे हो सकते हैं?


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