डांट टेक इट अदरवाइज यार!

By: Dec 7th, 2022 12:05 am

जब उनकी सेवा पानी कर करके तंग आ गया तो मैं उनके साहब को मिला। उस समय वे कुर्सी पर सुख से पसरे सुस्ता रहे थ, मुंह से कुछ खा रहे थे, ‘साहब जी ! अंदर आ सकता हूं क्या?’ मैंने उनसे दोनों हाथ जोड़े कहा तो वे अपना बिजली की चक्की की तरह चलता मुंह रोके बोले, ‘कौन? ‘आम आदमी हूं साहब!’ ‘तो थ्रू प्रॉपर चैनल आइए।’ ‘वहां से आने की बहुत कोशिश की साहब! पर बात नहीं बनी सो…।’ ‘तो क्या बात है?’ ‘सर बिजली का मीटर लगवाना है’, मैंने दिन के बारह बजे भी अपने को रात के बारह बजे के घुप्प अंधेरे में खड़े पाते कहा तो वे बोले, ‘हद है यार! दिन के बारह बजे भी बिजली के मीटर की मांग करते हो? ये समय तो ऊर्जा बचाने का समय होता है। लगता है तुममें देशभक्ति भी कतई नहीं? तो कहो, कैसा मीटर चाहिए तुम्हें? बिन बिल वाला या…।’ ‘साहबजी! जो बिजली खर्च करने के हिसाब से बिल देता हो।’ ‘तो हमारे मीटर बाबू से बात की?’ ‘की साहब!’ ‘तो?’ ‘पर अब फाइल आगे नहीं सरक रही साहबजी। ‘फाइल का खर्चा पानी प्रॉपर कदम कदम पर पे किया?’ ‘साहब जी! पैसा पैसा वसूला है उन्होंने।’ ‘कैसे? कैश या…।’ ‘गूगल पे से साहबजी!’ ‘गुड! सिस्टम तो सही फॉलो हुआ है।

पर फिर भी देखो! बुरा मत मानना! एक बात कहूं? जनता को साहब के पास सीधे नहीं जाना चाहिए। नीचे वाले बुरा मान जाते हैं। इससे बनता काम रुक जाता है।’ ‘तो साहब! सीधे किसके पास जाएं?’ ‘जो काम करेंगे। उनके पास!’ ‘साहबजी! अब मैं उन पर और खर्चा पानी खर्च नहीं कर सकता। आपकी मेहरबानी हो तो…।’ ‘अच्छा, एक बात बताओ? जब मिर्गी के मरीज को मिर्गी का दौरा पड़ता है तो तुम क्या करते हो?’ ‘उसे चमड़े का जूता सूंघा देते हैं जनाब!’ ‘उसके बाद क्या होता है?’ ‘वह ठीक हो जाता है जनाब!’’ उनकी सेवा पानी भी मिर्गी के दौरे की तरह है। वे जब भी किसी क ो काम करवाने अपने पास आते देखते हैं तो उनको हर बार यह दौरा पड़ जाता है। या यों कहें कि वे सेवा पानी लेने के असाध्य रोग से पीडि़त हैं। जिन रोगों का इलाज आज तक संभव नहीं हो पाया है, उसी पैनल में एक रोग ये भी है। ऐसा नहीं कि उनकी सैलरी कम है।

पर उनको ये असाध्य रोग है तो है। इसलिए फाइल के कदम कदम पर उन्हें चमड़े के जूते की तरह नोट सूंघाते रहो, वे ठीक होते रहेंगे। तुम भी चलते रहोगे और तुम्हारी फाइल भी चलती रहेगी। तुम भी खुश और वे भी खुश!’ ‘मतलब ऑफिस में भ्रष्टाचार?’ ‘नहीं, ऑफिस प्रोसीजर का एक जरूरी हिस्सा! वैसे डॉक्टर ने उनको सलाह दी है कि वे जो अपने पद पर बैठे काम के बदले पर्सनल सेवा शुल्क नहीं लेंगे तो उन्हें कुछ भी हो सकता है।’ ‘मतलब?’ ‘ये उनके रोग के उपचार का हिस्सा है यार! सो प्लीज! डांट माइंड यार ! हजार दो हजार किसी क ो नाजायज खिलाने से जो किसीकी जान बच जाए तो इससे बड़ा पुण्य और क्या होगा तुम्हारे लिए? हमारा अपने जरा से स्वार्थ के लिए किसीकी जान से खेलना अच्छा लगता है क्या? क्या तुम चाहते हो कि तुम्हारी वजह से उन्हे…तो ठीक है’ उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे उनके गुप्त रोग की जानकारी दी और फिर मुंह को उसकी तरह बिजली की चक्की बना चलाने लगे। ऐसे में अब मुझे उनके प्रति सेवाभाव तो रखना ही चाहिए न! कल को मेरी वजह से उनको कुछ हो गया तो लांछित कौन होगा? वे या मैं?

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com


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