111 करोड़ से टला बिजली बोर्ड का संकट; राज्य सरकार ने दूर की टेंशन; सबसिडी का किया भुगतान
राज्य सरकार ने दूर की टेंशन; सबसिडी का किया भुगतान, पहली दिसंबर को ही कर्मचारियों के खाते में आई पगार
विशेष संवाददाता-शिमला
राज्य सरकार की 111 करोड़ रुपए की किस्त ने आखिरी घड़ी में बिजली बोर्ड का बड़ा संकट टाल दिया। यह रकम सबसिडी के तौर पर बिजली बोर्ड को मिली है। बिजली बोर्ड पहली तारीख को कर्मचारियों के लिए वेतन और पेंशन उपलब्ध करता है। इस बार 30 नवंबर देर शाम तक बोर्ड को सबसिडी का चेक नहीं मिल पाया और बिजली बोर्ड बड़े संकट में घिरता हुआ नजर आ रहा था। बिजली बोर्ड को पेंशन और वेतन के रूप में 180 करोड़ रुपए का भुगतान करना था। इनमें करीब 95 करोड़ रुपए पेंशन जबकि 85 करोड़ रुपए वेतन के तौर पर चुकाए जाने थे। यह रकम बिजली बोर्ड को मुफ्त बिजली बांटने के एवज में राज्य सरकार से बतौर सबसिडी मिलनी थी। बिजली बोर्ड को सबसिडी का भुगतान चेक के माध्यम से हुआ है। पहली दिसंबर को चेक मिलते ही बोर्ड ने इसे खाते में लगा दिया और सभी कर्मचारियों को वेतन और पेंशन वितरित कर दी। इस बार राज्य सरकार ने 111 करोड़ रुपए बिजली बोर्ड को मुहैया करवाए हैं जबकि शेष राशि बोर्ड प्रबंधन ने अपने खाते से पूरी की है।
बिजली बोर्ड की यह हालत पहली बार नहीं हुई है। बल्कि इससे पहले भी बोर्ड को 31 अक्तूबर को सबसिडी का भुगतान हुआ था और उस समय भी ऐन मौके पर बिजली बोर्ड वेतन और पेंशन चुकाने की स्थिति में आ पाया था। कर्मचारियों को अब जनवरी महीने में भी वेतन या पेंशन मिलने को लेकर चिंता होने लगी है। बिजली बोर्ड यूनियन के प्रदेश महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि प्रदेश में उपभोक्ता 125 यूनिट बिजली मुफ्त मिल रही है। यह व्यवस्था आने वाले दिनों में बोर्ड और उपभोक्ता दोनों को महंगी पडऩे वाली है। यह व्यवस्था ठीक वैसे ही है जैसे जियो के मोबाइल इस्तेमाल के समय हुई थी। उपभोक्ताओं को यह बात समझनी होगी। बिजली बोर्ड और सरकार के बीच समझौता लो कोस्ट पर हुआ है। इसमें 700 करोड़ रुपए की सबसिडी तय की गई है। जबकि यह सबसिडी 1200 करोड़ रुपए की होनी चाहिए। एक महीने के भुगतान के बाद बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को अगले महीने की चिंता हो रही है।