सर्वोच्च आर्थिक विकास दर

By: Dec 3rd, 2022 12:02 am

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह बढ़ोतरी दर दूसरी तिमाही, यानी जुलाई-सितंबर के दौरान, की है। हालांकि अप्रैल-जून तिमाही की आर्थिक विकास दर की तुलना में यह आधी है, लेकिन वैश्विक आर्थिक मंदी, महंगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध की निरंतरता के बावजूद हमारी दर विश्व में सर्वोच्च है। शीर्ष आर्थिक संस्थान भी इसे सत्यापित कर रहे हैं। चीन, अमरीका, जापान और जर्मनी सरीखे विकसित देशों की विकास दर, भारत की तुलना में, आधी या एक-तिहाई अथवा उससे भी कम है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक, जीडीपी वृद्धि दर में फिलहाल सुस्ती का माहौल है, तब भी विकास दर बढ़ती जा रही है। बीते वर्ष 2021-22 की जुलाई-सितंबर तिमाही में यह दर 8.4 फीसदी थी, लेकिन फिर भी रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों के आकलन के ही मुताबिक बढ़ोतरी दर रही है। संतोष यह होना चाहिए कि हम कोरोना महामारी के दुष्प्रभावों से निजात पा रहे हैं और दुनिया में सबसे तेज उभार हमारी अर्थव्यवस्था का है। दूसरी तिमाही में करीब 38.16 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आर्थिक विकास दर की हकीकत भारतीय रिजर्व बैंक की भविष्यवाणी के अनुरूप ही है।

वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही के दौरान विनिर्माण, उत्पादन करीब 5.98 लाख करोड़ रुपए का रहा, जो करीब 4.3 फीसदी कम है। विनिर्माण और खनन क्षेत्रों में नकारात्मक बढ़ोतरी चिंतित करने वाली है। अलबत्ता सेवा क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है, क्योंकि बीते साल इसी तिमाही में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान यह क्षेत्र बमुश्किल सांस ले पा रहा था। विमानन कंपनियां अब भी यात्रियों के मामले में कोरोना-पूर्व के स्तर तक नहीं पहुंच पाई हैं। अर्थव्यवस्था के सकल मूल्य में जो वृद्धि सामने आई है, वह दूसरी तिमाही के दौरान 35.05 लाख करोड़ रुपए की है। यानी 5.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारत सरकार का सालाना बजट ही 39 लाख करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा है, लिहाजा अर्थव्यवस्था का सकल मूल्य उम्मीदें साकार कर रहा है। इस तिमाही के दौरान जहां तक निवेश का सवाल है, तो उत्पादन में एक निश्चित निवेश बढ़ा है और सरकार के पूंजीगत व्यय में भी बढ़ोतरी की गई है, लिहाजा सामान्य माहौल बनता हुआ महसूस हो रहा है। संपर्क गहन सेवाओं के क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव दिख रहे हैं। नया निवेश 10.4 फीसदी की दर से 13.21 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है।

निजी उपभोग, खपत में भी 9.7 फीसदी का विस्तार हुआ है। दूसरी तिमाही में यह 22.29 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया है। इनके अलावा व्यापार, परिवहन, होटल आदि संपर्क आधारित क्षेत्रों में 14.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिससे 6.49 लाख करोड़ रुपए मिले हैं। ये क्षेत्र रोजग़ार के महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। कमोबेश कम हुनर वाले श्रम-बल को भी इन क्षेत्रों में रोजग़ार मिलता रहा है। दरअसल कोरोना महामारी से जो आर्थिक नुकसान हुआ था, उसकी लगभग भरपाई हो चुकी है। इस तिमाही के दौरान सकल कर राजस्व 13.9 लाख करोड़ रुपए प्राप्त किया गया, जो करीब 18 फीसदी ज्यादा रहा। फिर भी जीडीपी दर और सरकार की बहाली दर में अपेक्षाकृत मजबूती नहीं देखी गई। बहरहाल अर्थव्यवस्था में सब कुछ औसतन ठीक-ठाक दिखाई दे रहा है, लेकिन बुनियादी सवाल है कि कृषि को छोड़ कर अन्य असंगठित क्षेत्र को शामिल क्यों नहीं किया गया? उसके बिना सही तस्वीर सामने कैसे आ सकती है?


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