नई सरकार, नए आईने-12
हिमाचल में क्वालिटी एजुकेशन तथा विभिन्न प्रतिस्पर्धी प्रवेश या अखिल भारतीय सेवाओं की परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक वर्ग का खड़ा होना, प्रशंसनीय है। पिछले कुछ सालों से दिल्ली व चंडीगढ़ के कालेजों की ओर हिमाचली छात्रों, विशेष तौर पर लड़कियों का रुझान बढ़ा है। अकेले चंडीगढ़ शहर में लगभग पंद्रह हजार बच्चे प्रत्यक्ष-परोक्ष शिक्षा या तरह-तरह के कोचिंग कोर्स हर साल कर रहे हैं, तो ह्यूमैनिटी में सैकड़ों बच्चियां दिल्ली विश्वविद्यालय के कालेजों को अधिमान दे रही हैं। विडंबना यह है कि हिमाचल में हर स्कूल या कालेज विज्ञान शिक्षा की तख्तियां लगाकर आत्मविभोर है, जबकि आट्र्स विषयों के राष्ट्रीय स्तर पर कई उच्च पद ऐसी शिक्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हिमाचल में भी अकादमियां खुल रही हैं और इसके साथ ऑनलाइन प्रशिक्षण व प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों के लिए निजी पुस्तकालय खुल रहे हैं। धर्मशाला जैसे शहर में दो दर्जन के करीब ऐसे पुस्तकालय हजारों बच्चों के लिए प्रतिस्पर्धा की काबिलीयत अर्जित करने के केंद्र बन रहे हैं। ऐसे में सरकारी तौर पर अपने पुस्तकालयों की दशा सुधारने की जरूरत है और नए स्कूल व कालेज खोलने के बजाय राष्ट्रीय सेवाओं में प्रवेश की तैयारी के लिए आधुनिक लाइब्रेरी की नई शृंखला स्थापित करने की आवश्यकता कहीं अधिक है। ये पुस्तकालय व्यक्तित्व विकास, काउंसलिंग, करियर गाइडेंस के अलावा विषय विशेष पर विशेषज्ञों की क्लासों के रूप में चलाए जाएं, तो भारतीय सेवाओं में अधिकतम हिमाचली अपना भविष्य संवार सकते हैं।
इसी तरह देश की सैन्य, पैरा मिलिट्री तथा पुलिस सेवाओं में भर्ती या अधिकारी स्तर की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए हिमाचल के पुलिस ढांचे में एक स्पैशल प्रशिक्षण विंग बनाकर पुलिस मैदानों पर ऐसे केंद्रों का इस्तेमाल युवाओं की बेहतरी के लिए करना होगा। कम से कम जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक के अधीन ऐसे कोर्स चलाए जा सकते हैं। राष्ट्रीय स्तर की सेवाओं में हिमाचल की भागीदारी बढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड, शिक्षा विभाग और विभिन्न विश्वविद्यालयों को अपने लक्ष्य निर्धारित करके निजी अकादमियों के प्रारूप में युवाओं की प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रबंध करने होंगे। शिक्षा विभाग व स्कूल शिक्षा बोर्ड मिलकर हर साल एक टेलेंट हंट करके टॉप पांच हजार बच्चों के लिए आठवीं से बारहवीं तक डे व आवासीय स्कूल चलाएं, जहां पढ़ाई के साथ-साथ करियर प्रवेश की तैयारी की निरंतरता का माहौल बने। इसके लिए प्रदेश के कई शहरी स्कूलों को चिन्हित किया जा सकता है। प्राय: देखा जा रहा है कि प्रदेश के शहरी सरकारी स्कूल अपने मजबूत ढांचे के बावजूद छात्रों को आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में इनमें से कुछ को करियर स्कूल बनाकर टेलेंट हंट के जरिए विशिष्टता का दर्जा दे देना चाहिए, जबकि अन्य को सीबीएसई या आईसीएसई पाठ्यक्रम से जोड़ते हुए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ देश की प्रमुख स्कूली संस्थाओं के हवाले कर देना चाहिए।
हिमाचल के बच्चों या युवाओं को राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश, प्रतिस्पर्धी या राष्ट्रीय सेवाओं की चयन परीक्षाओं के लिहाज से राज्य में परीक्षा केंद्र स्थापित करने होंगे। इसके लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड तथा अलग-अलग विश्वविद्यालय अपने-अपने परिसरों में राज्य परीक्षा केंद्र स्थापित करें, तो हर साल राष्ट्रीय स्तर की संभावनाओं में हिमाचल की हिस्सेदारी बढ़ जाएगी। हिमाचल में अभिभावकों के बढ़ते योगदान व बच्चों को आगे बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा ने नए करियर खोजने शुरू किए। गीत, संगीत, नृत्य, खेलों तथा अन्य कलाओं में हिमाचली बच्चों को आगे बढ़ाने का एक सिलसिला शुरू हुआ। ऐसे में सर्वप्रथम स्कूली स्तर पर ऐसी गतिविधियां बढ़ाने का कैलेंडर सुदृढ़ करके इन्हें परीक्षा फल से जोड़ा जाए। स्कूली स्तर पर आठवीं, दसवीं और जमा दो के बच्चों के लिए राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय भ्रमण से जोडक़र हम उनका परिचय पूरे प्रदेश, देश और कई मामलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करवा सकते हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग, सरकार तथा अभिभावकों के द्वारा ऐसी वित्तीय व्यवस्था करनी होगी ताकि आठवीं तक के बच्चे प्रदेश की भौगोलिक, सांस्कृतिक, आर्थिक क्षमता व ऐतिहासिक पक्ष से रूबरू हो सकें। सीनियर कक्षाओं के बच्चों को देश के औद्योगिक, शहरी, कबाइली तथा तकनीकी प्रगति के विभिन्न पहलुओं से वाकिफ कराया जा सकता है। हिमाचल को अपने स्तर पर युवा पर्यटन पर जोर देते हुए बड़े बांधों, विद्युत परियोजनाओं, औद्योगिक केंद्रों तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान के तहत माहौल तैयार करना होगा। इसके लिए आवश्यक यह है कि शिक्षक अपनी डायरी व शिक्षा से इतर ड्यूटी से मुक्त किए जाएं। प्रदेश में नादौन से भोटा के बीच किसी केंद्रीय स्थान पर एक बहुआयामी साइंस सिटी की स्थापना करके छात्रों में शिक्षा के व्यावहारिक पक्ष को मजबूत कर सकते हैं।
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