वैज्ञानिकों ने नर्सरी में तैयार कर दिए शुक्पा के पौधे

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-रिकांगपिओ
हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र रिकांगपिओ में किन्नौर वन मंडल के अग्रिम पंक्तियों के कर्मियों एवं प्रगतिशील किसानों के लिए जुनिपेरस पॉलीकार्पोस की नर्सरी (शुक्पा) और पौधरोपण तकनीक पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में किन्नौर जिला के कल्पा, निचार एवं पूह ब्लॉक से आए कई प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक डा. संदीप शर्मा द्वारा किया गया। उन्होंने हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा उत्तर-पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में वानिकी से संबंधित किए जा रहे कार्यों पर प्रतिभागियों के समक्ष अपने विचार रखे।

सह-निदेशक कृषि विज्ञान केंद्र किन्नौर डा. अशोक कुमार ठाकुर ने कार्यक्रम में आए सभी प्रतिभागियों और एचएफआरआई से आए वैज्ञानिकों का स्वागत किया और इस कार्यक्रम को केवीके किन्नौर के साथ मिलकर आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद व्यक्त किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक वैज्ञानिक पीतांबर सिंह नेगी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और किन्नौर वन मंडल के अग्रिम पंक्ति के अधिकारियों एवं किसानों के समक्ष जुनिपेरस पॉलीकार्पोस (शुक्पा) की नर्सरी और पौधरोपण तकनीक पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने शीत मरुस्थल क्षेत्र के महत्वपूर्ण वृक्ष शुक्पा के महत्व को विस्तार से बताया। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि जुनिपेरस पॉलीकार्पोस मूल रूप से हिमाचल प्रदेश और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के आंतरिक शुष्क एवं शीत मरुस्थल क्षेत्रों में पाया जाता है। इन क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों द्वारा विभिन्न धार्मिक संस्कारों को करने के लिए शुक्पा की पत्तियों का व्यापक रूप से मंदिरों और मठों में धूप के रूप में उपयोग किया जाता है। पूर्व में बीज द्वारा इस वृक्ष के कृत्रिम पुनर्जनन की तकनीक उपलब्ध नहीं थी। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला ने जुनिपेरस पॉलीकार्पोस (शुक्पा) के बीज, नर्सरी और रोपण तकनीक का सफलतापूर्वक विकास किया।