हार्टिकल्चरल मिनरल तेलों का हरित कली अवस्था पर करें छिडक़ाव

By: Dec 23rd, 2022 12:55 am

केलांग। डा. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं बागबानी विश्वविद्यालय नौणी के क्षेत्रीय बागबानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा की ओर से लाहुल-स्पीति के उदयपुर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा कृषि फसलों की माईट पर ऑल इंडिया नेटवर्क परियोजना के अंतर्गत प्रायोजित जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत एकदिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में उदयपुर पंचायत के करीब 60 किसानों ने भाग लिया। इस अवसर पर परियोजना प्रभारी व कीट वैज्ञानिक डा. संगीता शर्मा ने शीतोष्ण फलों व पोलीहाउस में लगने वाली माईट की पहचान, क्षति के लक्षण तथा रोकथाम के बारे में बागबानों को विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई। उन्होंने बागबानों को बताया कि माईट एक सूक्ष्मदर्शी जीव है, जिसके लगातार पत्तों से रस चूसने पर पत्तों का रंग फीका पड़ जाता है और फल कच्चे तथा छोटे आकार के रह जाते हैं।

अगले वर्ष बीम कम बनते हैं और उत्पादन में भारी कम आती है। माईट के अंडों के सर्दियों में फूटने से बचाने के लिए हार्टिकल्चरल मिनरल तेलों का हरित कली अवस्था पर छिडक़ाव करना चाहिए। यदि माईट को जनसंख्या प्रति पत्ता 6.8 हो जाए तो माईट नाशकों का छिडक़ाव करना चाहिए। बागबानों को मित्र कीटों की पहचान के बारे में भी अवगत करवाया गया। फल वैज्ञानिक डा. नीना चौहान ने पौधों को सिंचाई तथा कटाई के बारे में बागबानों को जागरूक किया। बागबानों को सेब के पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों के बारे में भी जानकारी दी गई। सघन बागबानी पौधों की प्रूनिंग सही तरीके से करने पर फलों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। इस मौके पर बागबानों को पाठ्य सामग्री जिसमें माईट एवं फल उत्पादन से संबंधित पुस्तकें तथा कृषि उपकरण नि:शुल्क वितरित किए गए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App