शोर था ओपीएस का, भाजपा को मिली पोस्टल लीड, पोस्टल बैलेट में भी भाजपा रही आगे, 11 प्रत्याशी चुनाव जीतकर बने विधायक

By: Dec 10th, 2022 12:05 am

प्रदेश में कुल 13 सीटों पर पोस्टल बैलेट में भी भाजपा रही आगे, 11 प्रत्याशी चुनाव जीतकर बने विधायक

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — शिमला

इस चुनाव में बेशक कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन को मुख्य मुद्दा बनाया हो, लेकिन पोस्टल वोट की हकीकत कुछ और दिख रही है। करीब 13 सीटों पर भाजपा विधायकों को पोस्टल के जरिए कर्मचारियों के ज्यादा वोट मिले हैं। यानी इनकी सीटों पर पोस्टल वोट की लीड भाजपा की तरफ है। इनमें से 11 सीटें भाजपा प्रत्याशियों ने जीती। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र सराज में उन्हें पोस्टल से सर्वाधिक लीड मिली है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सच में ओल्ड पेंशन का मुद्दा चुनाव परिणाम बदलने लायक था? अगर चुनाव नतीजों की बात करें तो मंडी की सुंदरनगर सीट पर राकेश जम्वाल को 1019 पोस्टल वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 719 वोट। इसी तरह सुलाह विस क्षेत्र में विपिन परमार को पोस्टल 830 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 170 वोट ही मिले। श्री नयना देवी सीट की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी रणधीर शर्मा को 525 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर को 499 पोस्टल वोट मिले। यह सीट रामलाल ठाकुर महज 145 वोट से हारे। पोस्टल वोट रामलाल को भी हार से नहीं बचा सके। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के चुनाव क्षेत्र में तो नया रिकॉर्ड बना। यहां 1486 पोस्टल वोट जयराम ठाकुर को मिले और सिर्फ 310 वोट कांग्रेस के पास गए।

ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के पांवटा साहिब विस क्षेत्र में उन्हें 423 पोस्टल वोट पड़े, जबकि कांग्रेस को 308 मिले। सिरमौर के ही पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा प्रत्याशी रीना कश्यप को 585 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 521 वोट ही मिल पाए। नाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी विनोद कुमार को 1078 पोस्टल वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 883 वोट प्राप्त हुए। करसोग से भाजपा प्रत्याशी दीपराज को 857 पोस्टल वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 839 से ही संतोष करना पड़ा। कांगड़ा सीट पर पवन काजल को 734 वोट पड़े, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 490 वोट ही मिल पाए। बिलासपुर की झंडूता सीट पर भाजपा प्रत्याशी जेआर कटवाल को 835 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 529 वोट ही मिल पाए। डलहौजी सीट पर जहां भाजपा के डीएस ठाकुर को 625 वोट मिले और कांग्रेस को सिर्फ 497 ही मिल पाए। भाजपा को शिलाई और लाहुल-स्पीति में भी ज्यादा पोस्टल वोट मिले थे, लेकिन ये सीटें पार्टी जीत नहीं पाईं।

कौल सिंह को भी नहीं बचा पाए पोस्टल वोट

कांग्रेस के दिग्गज नेता और नौवी बार विधानसभा में आने के लिए चुनाव लड़ रहे कौल सिंह ठाकुर को भी ओल्ड पेंशन के हल्ले के बीच कर्मचारियों के पोस्टल वोट हार से नहीं बचा पाए। कौल सिंह 618 वोट से चुनाव हारे, जबकि उन्हें 1098 पोस्टल वोट पड़े थे और भाजपा को 729 पोस्टल वोट मिले थे। इसके अलावा 519 वोट नोटा के उनके द्रंग विधानसभा क्षेत्र में पड़े। यदि पोस्टल वोट थोड़ा ज्यादा मिल जाते या नोटा कम होता, तो भी कौल सिंह जीत सकते थे।


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