मतदाताओं की चुप्पी ने बढ़ाई नेताओं की टेंशन, शांत माहौल ने बिगाड़े राजनीतिक समीकरण
छोटी काशी पर नजरें, इस बार किसका साथ देगी मंडी
दिव्य हिमाचल ब्यूरो—मंडी
हिमाचल प्रदेश की अगली सरकार के फैसले को अब सिर्फ चार दिन शेष बचे हैं। आठ दिसंबर को किसकी सरकार प्रदेश में बनेगी, इसकी तस्वीर लगभग 11 बजे तक साफ होना शुरू हो जाएगी। मतदाताओं ने भी अपनी चुप्पी तोड़ कर अब तो नेताओं के सारे समीकरण व दावे बिगाड़ दिए हैं। मंडी जिला में जिन सीटों को बहुत अंतर से जीतने के दावे नेता कर रहे थे, उन सीटों पर कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है। कहीं पर बागियों व भीतरघात ने कई दिग्गजों का काम बिगाड़ दिया है, तो कहीं पर टिकट बदलना भारी पड़ गया है। मंडी जिला में इस बार परिणाम चौंकाने वाले होंगे। मुख्यमंत्री का जिला होने के कारण छोटी काशी मंडी पर सबकी नजरें भी टिकी हुई हैं। मंडी जिला जिसका साथ देगा, उसे सरकार बनाने में उतनी ही आसानी होगी। छोटी काशी मंडी में 2012 को अगर छोड़ दें तो यहां कभी भी भाजपा-कांग्रेस का मुकाबला बराबरी का नहीं रहा है।
2012 के चुनावों में मंडी जिला में भाजपा और कांग्रेस ने पांच-पांच सीटें जीती थीं, जबकि 2017 में भाजपा मंडी जिला से नौ सीटें जीत गई थी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। इसी तरह से 2007 में भाजपा को जिला में सात सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस के तीन ही नेता जीत सके थे। जबकि 2003 में भाजपा को तीन, हिविकां को एक, कांग्रेस को पांच और महेंद्र सिंह ठाकुर अन्य दल से जीते थे। 1998 में मंडी जिला से हिविकां के चार, भाजपा के तीन और कांग्रेस के तीन उम्मीदवार जीते थे। 1993 में भाजपा को एक भी सीट पर मंडी जिला में जीत नहीं मिली थी। यहां कांग्रेस नौ सीटें ले गई थी और नाचन से आजाद प्रत्याशी के रूप में टेक चंद चुनाव जीते थे। ऐसी ही स्थिति पिछले विस चुनावों में मंडी जिला में बनी थी। कांग्रेस का कोई नेता पिछले चुनावों में नहीं जीता था और भाजपा ने नौ सीटें जीत ली थीं। जबकि जोगिंद्रनगर से प्रकाश राणा आजाद प्रत्याशी के रूप में जीते थे। इन्हीं नौ सीटों के बूते 2017 में भाजपा ने प्रदेश की सत्ता पाने में अहम सफलता पाई थी।
बैंडबाजों संग बकरों की एडवांस बुकिंग
आठ दिसंबर के लिए बैंडबाजों की भी बुकिंग हो चुकी है। दोनों दलों के समर्थक एडवांस में बकरों की बुकिंग दे चुके हैं। वहीं, नेताओं के समर्थक और करीबी देवताओं की शरण में हैं और अपने-अपने नेता की जीत के लिए मन्नतें मांग चुके हैं। कई जगहों पर भविष्यवाणी भी सुनाई जा चुकी है।
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