नगर निगम का चुनाव लटका…शहर में विकास ठप

सात महीने से इलेक्शन न होने से प्रशासकीय राज लागू, चले हुए काम भी बीच में फंसे

स्टाफ रिपोर्टर—शिमला
शिमला शहर में ठप पड़े विकास कामों को लेकर अब नगर निगम चुनाव जल्द करवाने की मांग उठ खड़ी हुई है। पिछले वर्ष 18 जून को पांच सालों के लिए चुनी गई नगर निगम का कार्यकाल पूरा हो चुका है और समय पर चुनाव न होने के कारण निगम पर प्रशासकीय राज लगा हुआ है। मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों के न हो पाने के कारण न तो हर माह होने वाली एसजीपीसी की बैठकें हो पा रही है और न ही मासिक बैठक का आयोजन हो पा रहा है, जिसमें शहर के वार्डों से संबंधित विकास कार्यों को हरी झंडी मिलती है, लेकिन नगर निगम बिना नुमाइंदों के चलने के कारण न केवल वार्डों के विकास ठप हो गए है, अपितु वार्ड पार्षदों से मिलने वाले विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्रों के लिए लोगों को राजस्व कार्यालयों की ओर रूख करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व भाजपा सरकार के समय किए गए पुनर्सीमांकन के फैसले को रद्द करते हुए पहले की तरह 34 वार्ड करने के फैसले के बाद अब शहर में लोग जल्द से जल्द निगम चुनाव की मांग करने लगे है।

सरकार के लाए अध्यादेश के चलते नगर निगम के सात वार्ड हट गए है और पांच वार्डों के डिलिमिटेशन में पहले ही चार महीनों से अधिक का समय लग गया है। बता दें कि मेयर और पार्षद न होने से शहर में विकास कार्य नहीं हो रहे है। पहले पार्षद अपने वार्ड की समस्याओं को एसजीपीसी की बैठक में रखते थे और बाद में उसे आम सभा की बैठक में लाकर अनुमोदन किया जाता था, लेकिन चुनाव न होने से वार्डों की कोई पूछ नहीं है। जो काम वार्डों में पहले से चल रहे थे, वह भी बीच में ही रुक गए हैं। चुनाव समय पर न होने के कारण जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पूर्व डिप्टी मेयर एवं माकपा जिला सचिव संजय चौहान ने कहा कि मौजूदा प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व भाजपा सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम,1994 में संशोधन कर शिमला नगर निगम के वार्ड 34 से 41 करने के फैसले को बदलने का निर्णय अच्छा है, लेकिन अब चुनाव प्रक्रिया की सभी औपचारिकताओं को पूरा कर नगर निगम शिमला के चुनाव शीघ्र करवाए जाएं।