सोलन में लंपी पर कंट्रोल… पर महकमा अभी भी अलर्ट

वायरस के खत्म होने के बावजूद भी पशुपालन विभाग सतर्क, जिला में 65 हजार पशुओं की वैक्सीनेशन, बीमारी से 1650 मवेशियों की हुई मौत

मोहिनी सूद-सोलन
पशुओं में आई लंपी स्किन वायरस की बीमारी का फिलहाल जिला सोलन में कोई मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद भी पशुपालन विभाग पूरी तरह से अलर्ट है। पशु चिकित्सकों ने पशुपालकों को अपने पशुओं पर मच्छरदानी के प्रयोग की सलाह दी है। बता दें कि जिला सोलन में अब तक करीब 19 हजार पशु लंपी वायरस से ग्रसित हुए हैं और करीब 1650 पशुओं की मौत इस वायरस से हुई है, लेकिन अब धीरे-धीरे जिले में मामले कम होते चले गए। प्रसन्न्ता कि बात यह है कि वर्तमान में जिले में लंपी वायरस का कोई भी मामला नहीं हैं।

जिला में कुछ महीनों से रोजाना 500 से 600 लंबी वायरस के मामले सामने आए। पशुपालन विभाग लंपी वायरस के खतरे से निपटने के लिए पशुपालन विभाग चरणबद्ध तरीके से कार्य किया। पशु पालन विभाग के अथक प्रयासों का नतीजा है कि बीते सप्ताह से लंपी वायरस का एक भी पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया है। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. बीबी. गुप्ता ने कहा कि एक सप्ताह से जिला में कोई भी लंपी वायरस का मामला सामने नहीं आया है। उनके पास इस तरह की कोई शिकायत भी नहीं आई है। इसके बावजूद पशुपालन विभाग पूरी तरह से इस वायरस पर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि लंपी से बचाव को लेकर विभिन्न कैंपों का आयोजन पशुपालन विभाग द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि जिला में लंपी वायरस के मामलों पर रोकथाम के लिए जिला में पशुपालन विभाग पशुओं का वैक्सीनेशन भी किया गया। अब तक जिला में करीब 65000 पशुओं का वेक्सीनेशन विभाग कर चुका है और आगामी दिनों में भी यह कार्य जारी रहने वाला है। (एचडीएम)

पशुपालन विभाग ने दी सावधानी बरतने की सलाह
पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखने पर उसे दूसरी जगह आइसोलेट करें। ताकि स्वस्थ पशुओं में यह वायरस संपर्क में आने से न जाए। पशुओं में इसके लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्रों में चिकित्सकों को संपर्क करें। इसके अलावा वायरस से पीडि़त पशु को छूने के बाद दूसरे पशुओं को न छुएं और अच्छी तहर से हाथ साफ करें। पशु चिकित्सकों की सलाह के अनुसार ही पशुओं को कोई भी दवा दें। पशुओं को मक्खी, मच्छरों से बचाएं।
डा. मनदीप कुमार बोले, लोगों को किया जा रहा जागरूक
निदेशक डा. मनदीप कुमार ने बताया कि पशुओं में इस रोग पर नियंत्रण के लिए लगातार गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पशुओं में टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण प्रभावित गांव के बजाय साथ लगते गांव के पशुओं में किया जा रहा है। प्रभावित गांवों में पशुओं को सात दिन की निगरानी में रखा जा रहा है व पशुओं में तीन दिन बाद भी इसके लक्षण सामने आ रहे हैं। प्रभावित गांवों में इंकूबेशन पीरियड के बाद ही टीकाकरण किया जा रहा है।