वित्त मंत्री से मध्यम वर्ग की उम्मीदें

आयकर मूल्यांकन वर्ष 2022-23 में करीब 7.53 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल हुए। इनमें से 50 लाख से कम इनकम टैक्स रिटर्न नए टैक्स प्रारूप के तहत दाखिल हुए। ऐसे में आगामी बजट में नए टैक्स प्रारूप को आकर्षक व लाभप्रद बनाए जाने की संभावनाएं हैं। हम उम्मीद करें कि वित्तमंत्री सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की आर्थिक मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ग को संतोषप्रद राहत देंगी…

इन दिनों एक फरवरी को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किए जाने वाले आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की ओर देश के छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग के लोगों की निगाहें लगी हुई हैं। उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री नए बजट के माध्यम से इस वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि करके अर्थव्यवस्था को गतिशील करने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकती हैं। बीते दिनों एक कार्यक्रम में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मैं भी मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखती हूं, इसलिए मैं मध्यम वर्ग के दबाव को समझ सकती हूं। चूंकि पिछले वर्ष 2022-23 के बजट में इस वर्ग को कोई बड़ी राहत नहीं मिली थी और अब महामारी के कारण दो साल की मंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर चल पड़ी है, साथ ही पिछली कुछ तिमाहियों में कर संग्रह में लगातार बढ़ोत्तरी भी देखी गई है। इसके साथ-साथ इस बार का बजट लोकसभा चुनाव 2024 के पहले का आखिरी पूर्ण बजट है। ऐसे में सरकार के द्वारा आगामी बजट में टैक्स का बोझ कम करने के लिए प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जा सकते हैं। नि:संदेह केंद्रीय बजट 2023-24 के तहत छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के नए प्रारूप वाले टैक्स स्लैब के पुन: निर्धारण की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। वर्तमान में वित्त मंत्रालय 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 5 फीसदी टैक्स लागू करता है।

जबकि 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 10 फीसदी और 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 फीसदी टैक्स लागू होता है। इसी तरह 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगाया जाता है। 12.5 लाख से 15 लाख रुपये पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से ऊपर की कुल आय पर 30 फीसदी टैक्स दर लागू होती है। जो आयकरदाता आयकर के पुराने स्लैब को अपनाए हुए हैं, उनके लिए विभिन्न टैक्स छूटों में वृद्धि की जाना जरूरी, मौजूदा समय में धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये की छूट मिलती है। इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन का मूलधन भुगतान भी शामिल है। मकानों की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए धारा 80सी के तहत 1.50 लाख की छूट पर्याप्त नहीं है। कोई व्यक्ति 1.50 लाख की छूट यदि होम लोन के मूलधन पर ले लेता है तो उसके पास अन्य जरूरी निवेश पर छूट लेने का विकल्प नहीं बचता है। अतएव धारा 80सी के तहत कर छूट की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपए किया जाना उपयुक्त होगा। आयकर अधिनियम की धारा 80सी की सीमा बढ़ाने से सबसे ज्यादा फायदा छोटी बचत योजनाओं, बीमा पॉलिसी खरीददारों, म्यूचुल फंड निवेशकों, लोनधारकों के निवेशकों और वरिष्ठ नागरिकों को होगा। पिछली बार वित्त वर्ष 2014-15 में इस सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था।

तब से इस कटौती सीमा को नहीं बदला गया है। इसी तरह सरकार के द्वारा इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत कर कटौती की सीमा को बढ़ाना चाहिए। अभी इस धारा के तहत 25000 रुपये तक के प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इसमें पति/पत्नी, बच्चों समेत खुद की पॉलिसी पर जमा किया गया प्रीमियम शामिल होता है। अगर माता/पिता वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आते हैं और उनका प्रीमियम भरते हैं तो 50000 रुपये तक का टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं। वृद्धावस्था में चिकित्सा व्यय में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। बढ़ती महंगाई और उच्च स्वास्थ्य व्यय के बीच विशेष रूप से घातक कोविड-19 महामारी के बाद वरिष्ठ नागरिकों को कुछ और कर राहत मिलनी चाहिए। वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम की कटौती को मौजूदा 50000 रुपये से बढ़ाकर 75000 रुपये की जाना उपयुक्त होगी। चूंकि अभी भी स्वास्थ्य संबंधी बढ़ती चुनौतियों के बीच देश में स्वास्थ्य बीमा अधिक चलन में नहीं है और अधिकतर लोगों के स्वास्थ्य बीमे का कवर अस्पताल के खर्चे से निपटने के लिए भी पर्याप्त नहीं है, ऐसे में सरकार के द्वारा 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट को बढ़ाना चाहिए ताकि टैक्पेयर्स हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर प्रेरित हों। 80डी में कर छूट सीमा को बढ़ाने के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सीमा बढ़ाई जाने से लोगों को स्वास्थ बीमा कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। स्वास्थ्य बीमे को सस्ता किया जाना भी जरूरी है। इस पर 18 फीसदी जीएसटी है जिसे कम करने की जरूरत है।

सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में योगदान की वार्षिक सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए। पीपीएफ के तहत अधिकतम अंशदान सीमा बढ़ाने की मांग के पीछे तर्क यह है कि उद्यमियों और पेशेवरों द्वारा पीपीएफ का उपयोग बचत के साधन के रूप में किया जाता है। वर्ष 2023-24 के बजट में घर खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर सरकार को होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट को बढ़ाना चाहिए और होम लोन के ब्याज रीपेमेंट पर मिलने वाले बेनिफिट की लिमिट को दो लाख रुपए से बढ़ाकर चार लाख रुपए किया जाना उपयुक्त होगा। होम लोन पर ब्याज में कटौती की सीमा को बढ़ाने से मकानों की ब्रिकी में तेजी आने की संभावना होगी। वर्तमान में ऐसे वरिष्ठ नागरिक, जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है, के लिए मूल कर छूट की सीमा 3 लाख रुपये है। अति वरिष्ठ नागरिकों, जिनकी 80 वर्ष से अधिक आयु है, के लिए मूल कर छूट की सीमा 5 लाख रुपये है। ऐसे में आगामी बजट 2023-24 में वरिष्ठ नागरिकों के लिए बुनियादी आयकर छूट सीमा को संशोधित करना जरूरी दिखाई दे रहा है। वरिष्ठ नागरिकों के एक बड़े वर्ग के पास आय का कोई अन्य नियमित स्रोत नहीं है। सामान्यतया अपनी छोटी बचत और उस पर अर्जित ब्याज पर निर्भर रहते हैं।

ऐसे में आगामी बजट में 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए मूल आयकर छूट सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तथा 80 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को कर से छूट मुक्त राशि 7.5 लाख रुपये की जानी उपयुक्त होगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आगामी बजट में वित्तमंत्री नए टैक्स स्लैब के प्रारूप में बदलाव करके छोटे करदाताओं को नई राहत दे सकती हैं। इससे नए टैक्स प्रारूप के प्रति करदाताओं का आकर्षण बढ़ेगा। नए कर प्रारूप की घोषणा वर्ष 2020-21 के बजट में की गई थी, लेकिन अब तक इसके तहत लाभ लेने के लिए आयकरदाताओं का विशेष रुझान नहीं बढ़ा है। आयकर मूल्यांकन वर्ष 2022-23 में करीब 7.53 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल हुए। इनमें से 50 लाख से कम इनकम टैक्स रिटर्न नए टैक्स प्रारूप के तहत दाखिल हुए। ऐसे में आगामी बजट में नए टैक्स प्रारूप को आकर्षक व लाभप्रद बनाए जाने की संभावनाएं हैं। हम उम्मीद करें कि वित्तमंत्री सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की आर्थिक मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ग को संतोषप्रद राहत देंगी। इससे इस वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ेगी, नई मांग का निर्माण होगा और अर्थव्यवस्था गतिशील होगी।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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