सत्ता परिवर्तन के बाद आदेश रद्दी में

स्टाफ रिपोर्टर- गगरेट
शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव के लिए पूर्व सरकार के समय मुख्य सचिव द्वारा उपायुक्तों को जारी किए गए आदेश सत्ता परिवर्तन के बाद रद्दी के टोकरी में जा टिके हैं। शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव दिखें इसके लिए मुख्य सचिव के आदेश के अनुसार जिले के उपायुक्तों, सह- उपायुक्तों, जिला पुलिस कप्तान सहित एचपीएएस अधिकारियों को पंद्रह दिन में एक बार शिक्षण संस्थानों व स्वास्थ्य संस्थानों को निरीक्षण करने के साथ एक-एक स्कूल गोद लेने के भी आदेश थे। ताकि शिक्षण संस्थानों में जाकर प्रशासनिक अधिकारी विद्यार्थियों की क्लास लें लेकिन इन आदेशों पर बंद हुई प्रशासनिक अधिकारियों की आंखें खुल नहीं पाई हैं। पूर्व सरकार में मुख्य सचिव रहे राम सुभाग सिंह ने शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में नया प्रयोग करते हुए प्रदेश के तमाम उपायुक्तों को पत्र जारी कर पंद्रह दिन में एक बार शिक्षण संस्थानों के साथ स्वास्थ्य संस्थानों के औचक निरीक्षण के आदेश जारी किए थे। यही नहीं बल्कि उपायुक्तों, जिला पुलिस कप्तानों के साथ एचपीएएस अधिकारियों को भी एक-एक स्कूल गोद लेकर बच्चों की क्लास लगाने को भी कहा था। तत्कालीन मुख्य सचिव के आदेश मिलने की शुरूआत में तो प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया लेकिन धीरे-धीरे इन आदेशों को नजरअंदाज ही कर दिया।

अब जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है। ऐसे में तो पूर्व मुख्य सचिव के यह आदेश शायद रद्दी की टोकरी की शान बढ़ा रहे हैं। जनता से जुड़े इन मुद्दों को लेकर प्रशासनिक अधिकारी ऐसा लापरवाह रवैया अपना रहे हैं जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। जाहिर है कि प्रत्येक सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र शुमार रहते हैं और अगर प्रशासनिक अधिकारी इन आदेशों पर अमल करते तो निश्चित तौर पर इन क्षेत्रों में आमूलचूल बदलाव देखने को मिलता लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को कोई उस चि_ी की याद कैसे दिलाए जो उस वक्त के मुख्य सचिव द्वारा लिखी गई। जाहिर है कि इन आदेशों को वापिस भी नहीं लिया गया है। बावजूद इसके सरकारी स्कूलों के साथ स्वास्थ्य संस्थानों की हालत सुधारने व विद्यार्थियों को प्रशासनिक सेवा के प्रति प्रेरित करने में प्रशासनिक अधिकारी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उधर एसडीएम सौमिल गौतम का कहना है कि उन्होंने हाल ही में सिविल अस्पताल गगरेट का औचक निरीक्षण किया था और भविष्य में भी स्कूलों व स्वास्थ्य संस्थानों का औचक निरीक्षण किया जाएगा।