मुशर्रफ चाहते, तो सुलझ जाता कश्मीर मुद्दा, हाथ बढ़ाकर पीठ में छुरा घोंपना इतिहास में दर्ज

By: Feb 6th, 2023 12:02 am

वाजपेयी की तरफ 

एजेंसियां— इस्लामाबाद
आज से करीब 24 साल पहले एक बस नई दिल्ली से पाकिस्तान गई थी। उस बस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सवार थे । 20 फरवरी, 1999 को बस लाहौर पहुंची और भारत-पाकिस्तान के रिश्ते थोड़े समय के लिए ही सही, पटरी पर लौटते दिखे। बॉर्डर पर नवाज शरीफ बाहें पसारे वाजपेयी की अगवानी को तैयार खड़े थे। वाजपेयी और शरीफ ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसे लाहौर घोषणा कहते हैं।

दोनों देशों की संसद ने उसी साल संधि को मंजूरी दे दी। इतने दोस्ताना माहौल के बावजूद दो-तीन महीनों में सब कुछ बदल गया। मई 1999 में पाकिस्तान ने करगिल में युद्ध छेड़ दिया। वाजपेयी और भारत ने दोस्ती का जो हाथ बढ़ाया था, उसे झटककर पाकिस्तान ने दुश्मनी चुनी। उस वक्त भारत की पीठ में छुरा घोंपने वाले शख्स परवेज मुशर्रफ था। मुशर्रफ उस वक्त पाकिस्तान के तानाशाह राष्ट्रपति थे। उन्हीं की सरपरस्ती में पाकिस्तान की सेना ने भारत पर हमला बोला। करगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने के बावजूद भारत विनम्र रहा। एक बार फिर दोस्ती का पैगाम भेजा गया। इस बार उधर से मुशर्रफ आए। आगरा में ऐतिहासिक बैठक हुई, लेकिन नतीजा वही रहा। एक बार फिर भारत की पीठ में छुरा घोंपा गया। इस बार भी सूत्रधार जनरल परवेज मुशर्रफ थे।

दिल्ली में पैदा हुआ था करगिल युद्ध का विलेन
परवेज मुशर्रफ का जन्म 11, अगस्त 1943 को दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार कराची जाकर बस गया। बाद में वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख बने। इन्होंने साल 1999 में नवाज शरीफ की लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलट कर पाकिस्तान की बागडोर संभाली और 20 जून, 2001 से 18 अगस्त, 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। पुरानी दिल्ली के जिस घर में मुशर्रफ का जन्म हुआ था, वो अब काफी पुराना और कमजोर हो चुका है। अब उस हवेलीनुमा घर में आठ परिवार रहते हैं। साल 2001 में भारत दौरे के पहले दिन मुशर्रफ पुरानी दिल्ली के उस मकान में गए थे, जहां उनका बचपन गुजरा था। विभाजन के बाद मुशर्रफ के परिवार ने पाक जाने का फैसला किया और पुरानी दिल्ली के उस घर को छोडक़र सबलोग पाक चले गए। उस समय मुशर्रफ मात्र चार साल के थे।

राजद्रोह का लगा था आरोप
1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन करने वाले जनरल मुशर्रफ पर उच्च राजद्रोह का आरोप लगाया गया था और 2019 में संविधान को निलंबित करने के लिए मौत की सजा दी गई थी। बाद में उनकी मौत की सजा को निलंबित कर दिया गया था। 2020 में लाहौर उच्च न्यायालय ने मुशर्रफ के खिलाफ नवाज शरीफ सरकार द्वारा की गई सभी कार्रवाइयों को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, जिसमें उच्च राजद्रोह के आरोप पर शिकायत दर्ज करना भी शामिल था।


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