खिलौना उद्योग का सुकूनदेह परिदृश्य

देश में सुगठित खिलौना डिजाइन संस्थान की स्थापना को मूर्तरूप देना होगा…

यकीनन इस समय देश और दुनिया में भारतीय खिलौना उद्योग की बहुत कम समय में हासिल ऐसी सफलता रेखांकित हो रही है जिसकी कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। इस समय चारों ओर भारत के सस्ते और गुणवत्तापूर्ण खिलौना उद्योग का सुकूनदेह परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। भारत से खिलौनों के तेजी से बढ़ते हुए निर्यात और घटते हुए आयात का नया लाभप्रद अध्याय भी रेखांकित हो रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में 21 फरवरी को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप स्कूलों के लिए तैयार हो रहे पाठ्यक्रम के अमल की तैयारियों के बीच शिक्षा मंत्रालय ने सभी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए जिन खिलौनों का इस्तेमाल हो, वे पूरी तरह से भारतीय हों और देश में बने हों। इनका भारतीय मानक ब्यूरो से सर्टीफिकेशन भी जरूरी है। गौरतलब है कि अब वह समय बीत गया है कि जब तीन-चार वर्षों पहले तक भारत खिलौने के लिए बहुत कुछ दूसरे देशों पर निर्भर था और भारत में 80 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से आया करते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक देश में खिलौना उद्योग के रणनीतिक विकास से भारत में पिछले तीन वर्षों में खिलौने के आयात में 70 फीसदी की कमी आई है। साथ ही भारत का खिलौना निर्यात करीब 300 करोड़ रुपए से तेजी से बढक़र करीब 2600 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। भारत से अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों को खिलौने निर्यात किए जा रहे हैं। इस समय भारतीय खिलौना उद्योग का कारोबार करीब 1.5 अरब डॉलर का है जो वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 0.5 फीसदी मात्र है।

लेकिन जिस तरह भारत में खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, उससे खिलौना उद्योग छलांगे लगाकर बढ़ते हुए 2024 तक 3 अरब डॉलर तक की ऊंचाई पर पहुंचने की संभावनाएं रखता है। देश में घरेलू खिलौना बाजार को ऊंचाई मिलने के कई कारण उभरकर दिखाई दे रहे हैं। वर्ष 2019 में एक सरकारी सर्वेक्षण में पाया गया कि चीन से 67 फीसदी खिलौना आयात असुरक्षित था। चीनी खिलौने में सीसा, कैडमियम और बेरियम के असुरक्षित तत्व पाए गए। इसके बाद असुरक्षित खिलौनों को देश में प्रवेश करने से रोकने और स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि मन की बात के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार देश के लोगों को स्वदेशी भारतीय खिलौनों को खरीदने, घरेलू डिजाइनिंग को सुदृढ़ बनाने, भारत को खिलौनों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण हब बनाने की अपील की। सरकार ने देश में खिलौना बाजार से जुड़े तमाम खिलौना निर्माताओं और कारोबारियों को प्रोत्साहित किया। फरवरी 2020 में खिलौनों पर सीमा शुल्क 20 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया। यह स्थानीय निर्माताओं को प्रेरित करने के लिए किया गया। जनवरी 2021 में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू हुआ जिसके अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खिलौने को 7 भारतीय मानकों के अनुरूप होना अनिवार्य बनाया गया। यह बात महत्वपूर्ण है कि सरकार ने 2021 में टॉयकैथॉन और टॉय फेयर की शुरुआत की जो भारत के खिलौना निर्माताओं को अपने खिलौने प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करते हैं और भारतीय खिलौना निर्माण उद्योग की क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। इन अभियान ने युवाओं और स्टार्टअप्स को देश की खिलौना अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए आगे आने के लिए प्रेरित किया। विदेशी खिलौनों पर बीआईएस गुणवत्ता चिह्न की कमी और नकली लाइसेंस के उपयोग के कारण उपभोक्ता संरक्षण नियामक सीसीपीए ने खिलौनों की गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के कथित उल्लंघन के लिए कठोर कदम उठाए गए। तीन प्रमुख ई-कॉमर्स खिलाडिय़ों- अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील पर भी कार्रवाई की गई है। सरकार ने जनवरी 2023 में हेमलीज व आर्चीज जैसे चर्चित ब्रांड्स समेत कई अमानक खिलौनों के प्रमुख खुदरा स्टोरों से हजारों की संख्या में खिलौनों को जब्त भी किया है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023-24 के आगामी बजट में खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने रणनीतिक पहल की है। सरकार ने खिलौना उद्योग को देश के 24 प्रमुख सेक्टर में स्थान दिया है। भारतीय खिलौनों को वैश्विक खिलौना बाजार में बड़ी भूमिका निभाने हेतु खिलौना उद्यमियों को प्रेरित किया गया है। सरकार के द्वारा खिलौना उत्पादकों से कहा गया है कि वे ऐसे खिलौने बनाएं जिनमें एक भारत, श्रेष्ठ भारत की झलक हो और उन खिलौनों को देख दुनिया वाले भारतीय संस्कृति और पर्यावरण के प्रति गंभीरता जताएं और भारतीय मूल्यों को समझ सकें। ऐसे में डिजिटल गेमिंग के लिए भारत के द्वारा खिलौना निर्माण में भारतीय मूल्यों पर आधारित विषयों तथा भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मद्देनजर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की कहानियों तथा उनके शौर्य को गेमिंग अवधारणाओं के रूप में प्रस्तुत किए जाने से जहां बच्चों में देश भक्ति की भावना बढ़ी, वहीं भारतीय खिलौनों की बिक्री भी तेजी से बढ़ी है। यद्यपि देश का खिलौना उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी देश के खिलौना सेक्टर को चमकीली ऊंचाई देने के लिए खिलौना क्षेत्र के तहत एक लम्बे समय से चली आ रही कई बाधाओं को हटाया जाना जरूरी है। खिलौना उद्योग के विकास से संबंधित विभिन्न एजेंसियों के बीच उपयुक्त तालमेल बनाया जाना जरूरी है। देश में चीन की तरह खिलौने के विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) को आकार देने की जरूरत है। अभी खिलौनों पर जीएसटी की दर 12-18 फीसदी के बीच है। इसमें भी कटौती की गुंजाइश है जिससे खिलौनों की कीमत में और कमी आएगी।

अधिकांश भारतीय खिलौने ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि घरेलू खिलौनों की बिक्री को और बढ़ाया जा सके। यह भी जरूरी है कि सरकार के द्वारा प्रस्तावित की गई 3500 करोड़ मूल्य के पारंपरिक और यांत्रिक खिलौनों दोनों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शीघ्र शुरू की जाए। इससे घरेलू विनिर्माण को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने और चीन से खिलौना आयात में और कटौती करने में मदद मिलेगी। सरकार के द्वारा खिलौना उद्योग के विकास के लिए जो प्रोत्साहनमूलक घोषणाएं की गई हैं, उनके कार्यान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढऩा होगा। हमें अपने लोकल खिलौनों के लिए वोकल बनना होगा। ऐसे में खिलौनों का उत्पादन बढ़ाकर देश के दूरदराज इलाकों में रहने वाले आदिवासी लोगों, महिलाओं और गरीबों को बड़ी संख्या में रोजगार अवसर दिए जा सकेंगे। अब वैश्विक स्तर पर भारतीय खिलौनों को स्पर्धी बनाने के लिए नवाचार और वित्त पोषण के नए मॉडल को अपनाया जाना होगा। नए विचार इनक्यूबेट करने, नए स्टार्टअप प्रोत्साहित करने, परंपरागत खिलौना बनाने वालों तक नई डिजाइन व नई टेक्नोलॉजी को पहुंचाने और खिलौनों की नई बाजार मांग बनाने की डगर पर आगे बढ़ा जाना होगा। देश में सुगठित खिलौना डिजाइन संस्थान की स्थापना को मूर्तरूप देना होगा। इसके अलावा खिलौना उद्योग के लिए बैंकों से ऋण तथा वित्तीय सहायता संबंधी बाधाओं को दूर करना होगा। हम उम्मीद करें कि सरकार देश को खिलौनों का वैश्विक हब बनाने और खिलौनों के वैश्विक बाजार में चीन को और अधिक टक्कर देने की रणनीति की डगर पर और तेजी से आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि सरकार खिलौना बनाने वाले कारीगरों के लिए नए आइडिया और सृजनात्मक तरीके से गुणवत्तापूर्ण कौशल प्रशिक्षण को उच्च प्राथमिकता देगी। इन सब उपायों से सस्ते और गुणवत्तापूर्ण स्वदेशी खिलौने बच्चों को अधिक मुस्कुराहट देते हुए दिखाई देंगे।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App