हर वर्ग के लिए बजट में कुछ न कुछ

By: Feb 2nd, 2023 12:05 am

बजट पर त्वरित टिप्पणी

रविंद्र सूद इनकम टैक्स एक्सपर्ट, पालमपुर

हर वर्ष की भांति देश का आम बजट हमारे वित्त मंत्री ने बुधवार को पेश कर दिया। इस बार का बजट इसलिए खास था, क्योंकि नौ राज्यों समेत देश का आम चुनाव 2024 में होने जा रहा है, इसलिए इसे चुनावी बजट भी कह सकते हैं और उम्मीद के अनुरूप वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण हर वर्ग के लिए अपने बजट में कुछ न कुछ जरूर लेकर आई हैं। आम बजट में सबसे ज्यादा उम्मीद आयकर वर्ग को होती है कि टैक्स स्लैब में क्या परिवर्तन किया जाता है। पिछले नौ वर्षों से मोदी सरकार ने टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया, जिससे आयकर वर्ग हताश और निराश था। इस बजट में सात लाख रुपए तक सालाना कमाई करने वाले लोगों को अब जीरो टैक्स देना होगा। ऐसा तब होगा जब वे अपना टैक्स नई प्रणाली के अंतर्गत भरते हैं और अपनी बचत से जुड़ी सभी जानकारी सरकार को देते हैं। भारत में सर्वाधिक इनकम टैक्स 42.7 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसे अब 39 फीसदी कर दिया गया है, जो कि अगले वित्तीय वर्ष से लागू किया जाएगा। ध्यान रहे कि यह टैक्स पांच करोड़ सालाना कमाने वाले लोगों को देना होता है। अगर आप नौ लाख रुपए प्रति साल तक कमाते हैं, तब सालाना आपको 45 हजार रुपए तक टैक्स देना पड़ सकता है। यानी आप पांच फीसदी इनकम टैक्स दे रहे हैं ।

देश में मुद्रास्फीति की दर और महंगाई भी तेजी से बढ़ी है। उच्च आय वर्ग में आने वाले टैक्सपेयर्स भी इस बार के बजट से टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद लिए बैठे थे, ताकि उनकी भी जेब ज्यादा हल्की न हो। जैसा कि हम जानते हैं कि सरकार के राजस्व का बड़ा स्रोत अप्रत्यक्ष कर है। सरकार जीएसटी और कुछ सरचार्ज के जरिए हर उपभोक्ता से अप्रत्यक्ष कर वसूलती है, इसलिए इनकम टैक्स देने वालों का मानना है कि उन पर टैक्स का दोगुना बोझ है। एक तो वे अप्रत्यक्ष कर के रूप में वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग करने के एवज में टैक्स देते हैं। दूसरा उनकी आय पर इनकम टैक्स लगाया जाता है, जिसके विषय में सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए और आयकर वर्ग को विशेष राहत के तहत कोई हैल्थ पालिसी स्कीम चलानी चाहिए थी। सरकारी मुलाजिमों की बात न करें, तो एक आम करदाता न जाने किन मुसीबतों के बाद टैक्स की अदायगी करता है, परंतु बीमार पडऩे पर या मृत्यु होने पर सरकार द्वारा उसे या उसके परिवार को किसी भी प्रकार की कोई सुरक्षा या सुविधा नहीं दी जाती। बजट में करदाताओं के लिए ऐसा कोई प्रावधान होता, तो सरकार की वाहवाही होती, परंतु इस बार भी करदाताओं को मायूसी ही हाथ लगी है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए वरिष्ठ खाता स्कीम की सीमा 4.5 लाख से नौ लाख किया जाना और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए महिला बचत सम्मान योजना बनाने का प्रावधान किया जाना, जिसके तहत महिलाओं को अपनी जमा की गई राशि पर साढ़े सात फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा एक अच्छी पहल है।


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