प्रदेश में 2022 में सडक़ हादसों में 1032 ने गंवाई जान, 2017 के मुकाबले पांच साल में कम हुए मामले

By: Mar 26th, 2023 12:04 am

 मृत्यु दर 1203 से घटकर 1032, घायलों की संख्या 5452 से पहुंंची 4133

पुलिस अधिकारियों ने न्यूयार्क पुलिस डिपार्टमेंट मॉडल पर दी प्रस्तुति

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला
प्रदेश में विभिन्न जगहों पर पेश आए सडक़ हादसों में 1032 लोगों ने जान गंवाई है। 2017 के मुकाबले प्रदेश में पिछले पांच साल में सडक़ हादसों का ग्राफ कम हुआ है। इसके अलावा सडक़ हादसों की संख्या कम होने के साथ-साथ हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या भी कम हुई है। वहीं सडक़ हादसों में घायल होने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आई है। हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग ने गहन विश्लेषण के न्यूयार्क पुलिस डिपार्टमेंट मॉडल के आधार पर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के समक्ष प्रस्तुति दी। उन्होंने सडक़ सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए पुलिस की सराहना की। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2017 से 2022 तक सडक़ यातायात दुर्घटनाएं 3114 से घटकर 2597, मृत्यु दर 1203 से घटकर 1032 और घायलों की संख्या 5452 से घटकर 4133 रह गई। डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि जनसंख्या और वाहन संख्या दोनों के मामले में हमारी सडक़ सुरक्षा राष्ट्रीय औसत से कम है।

राष्ट्रीय औसत 29.30 आरटीए प्रति लाख जनसंख्या के मुकाबले हिमाचल प्रदेश में 31.54 की उच्च दर थी। इसी प्रकार प्रति लाख जनसंख्या पर आरटीए में होने वाली मौतों के लिए हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय औसत 10.93 की तुलना में 13.77 की उच्च दर थी। वाहनों के संदर्भ में भारत के लिए प्रति दस हजार वाहनों पर आरटीए 15.10 था, जबकि हिमाचल प्रदेश की दर 17.37 थी। प्रति दस हजार वाहनों पर आरटीए में मौतों के लिए, राष्ट्रीय औसत 5.08 के मुकाबले, एचपी का औसत 6.93 था। उन्होंने बताया कि गहन विश्लेषण के एनबाईपीडी मॉडल से पता चलता है कि घातक घटनाओं में से 23 प्रतिशत आमने-सामने की टक्कर के कारण, 22 प्रतिशत रन ऑफ रोड और 19 प्रतिशत पैदल चलने वालों की टक्कर के कारण होते हैं। डीजीपी ने बताया कि लोक निर्माण मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को विशेष रूप से मैदानी क्षेत्रों में पैदल चलने वालों के बुनियादी ढांचे (पैदल यात्री हिट को रोकने के लिए), पहाड़ी क्षेत्रों में क्रैश-बैरियर (रन-ऑफ दुर्घटनाओं को रोकने के लिए) और टकराव को रोकने के लिए ब्लैक स्पाट हटाने का निर्देश दिए हैं।

राष्ट्रीय औसत से नीचे आएंगे सडक़ सुरक्षा मानदंड
इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उनका पहला उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के सडक़ सुरक्षा मानदंडों को राष्ट्रीय औसत से नीचे लाना है। दूसरा, वर्ष 2030 तक आरटीए और मौतों को 50 प्रतिशत तक कम करना, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के हिस्से के रूप में घोषित किया गया है।


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