संस्कृत महाविद्यालय में होनहार छात्रों को सम्मान

वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में डा. कुमार सिंह सिसोदिया ने नवाजे छात्र, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बटोरीं तालियां

सिटी रिपोर्टर-नाहन
संस्कृत विषय के प्रगाढ़ अध्ययन के लिए संस्कृत महाविद्यालयों में श्लाका परीक्षा को आरंभ किया जाए। वर्तमान में संस्कृत में पाठशाला पद्धति का चलन समाप्त होकर संस्कृत केवल महाविद्यालय की सीमित पढ़ाई तक रह गई है, जिसे दुरुस्त करना आवश्यक है। यह बात पूर्व संस्कृत विशेषाधिकारी उच्चतर शिक्षा निदेशालय हिमाचल प्रदेश डा. कुमार सिंह सिसोदिया ने गोरक्षनाथ संस्कृत महाविद्यालय नाहन के वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने के दौरान कही। वहीं पूर्व सचिव हिमाचल संस्कृत अकादमी हिमाचल प्रदेश सरकार डा. मस्त राम ने बतौर अध्यक्ष शिरकत करते हुए महाविद्यालय की विभिन्न मांगों को प्रदेश सरकार के समक्ष रखने का आश्वासन दिया, जिसमें संस्कृत महाविद्यालय नाहन में कन्या छात्रावास की प्रमुख मांग शामिल है, जबकि महाविद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष, योग व खेल प्रशिक्षक, मिनिस्ट्रियल स्टाफ के अलावा यूजीसी के अनुसार आचार्य के रिक्त पदों को भरने की मांग भी शामिल है। उन्होंने छात्रों को तामसिक पदार्थों से दूर रहने की विशेष सलाह दी, जबकि संस्कृत भाषा पर गर्व करने व इसे हृदय से स्वीकार करने की संस्कृति उत्पन्न करने का संदेश दिया।

प्रदेश के प्राचीन महाविद्यालयों में शुमार गोरक्षनाथ संस्कृत महाविद्यालय नाहन में वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, शैक्षणिक व खेलकूद, सामाजिक गतिविधियों में अव्वल रहने पर विद्यार्थियों को सम्मानित करने के साथ आयोजित हुआ। जिसमें कालेज के 187 छात्र-छात्राओं को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट रहने पर अलंकृत किया गया।