किन्नौर-शिमला से कश्मीर तक किन्नौरी फर वाले कोट की धमक

By: Mar 1st, 2023 12:18 am

पहली बार कोट में फर का इस्तेमाल, 6500 की कीमत वाला कोट प्रदर्शनी में मिल रहा पांच हजार में

संतोष कुमार—शिमला
पहली बार किन्नौरी कोट में फर का इस्तेमाल होने के बाद न केवल इनकी मांग अधिक बढ़ गई है, अपितु शिमला, किन्नौर से लेकर जम्मू-कश्मीर तक किन्नौरी कोट की मांग बढ़ गई है। किन्नौरी कोट में पहली मर्तबा फर का प्रयोग किया गया है, जिससे यह कोट न केवल गर्मी का खूब अहसास करवाता है, अपितु इसकी मांग भी खूब बढ़ गई है। शिमला के रिज पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में पांच दिवसीय स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूह व किसान उत्पादक संगठन की प्रदर्शनी व बिक्री का आयोजन चल रहा है और इसमें किन्नौर का जागृति सेल्फ हेल्प गु्रप भी अपने उत्पादों को सजाए हुए है।

नाबार्ड से मिली उड़ान के बाद जागृति संयुक्त देयता समूह के उत्पादों को एक अलग ही पहचान मिली है और हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनी के अलावा जम्मू-कश्मीर में भी इसकी प्रदर्शनी आयोजित होती है। ऐसे में किन्नौरी कोट की डिमांड किन्नौर, शिमला से लेकर कश्मीर तक खूब की जा रही है। खासतौर पर पर्यटकों में इस उत्पाद को लेकर खासा उत्साह बना हुआ है। (एचडीएम)

चुली तेल-ड्राई फ्रूट की भी खूब डिमांड
किन्नौरी कोट, शॉल व टोपी आदि के उत्पादों के अलावा इस प्रदर्शनी में बामी, बादाम आदि ड्राई फ्रूट्स के अलावा विभिन्न प्रकार की दालें भी लोगों के लिए उपलब्ध करवाई गई है।

नाबार्ड ने दिलाई पहचान
जागृति एसएचजी के प्रधान रामकृष्ण व सदस्य चंद्रकांता ने बताया कि नाबार्ड ने उन्हें यह मौका दिया है कि वह किन्नौर के उत्पादों को हिमाचल सहित अन्य जगहों पर उपलब्ध करवा रहे है। इसके लिए खास तौर पर जिला किन्नौर के डीडीएम नाबार्ड विजय नेगी का वह हार्दिक आभार व्यक्त करते है। उन्होंने कहा कि किन्नौरी कोट में पहली बार फर का इस्तेमाल किया गया है और इसे जीआई टैग तक पहुंचाने का उनका प्रयास रहेगा। यह अमूमन 6500 कीमत का है, लेकिन प्रदर्शनी में वह इसे 5000 रुपए में उपलब्ध करवाते है। हिमाचल के अलावा जम्मू-कश्मीर में वह प्रदर्शनी लगा चुके है और 140 लोग इस समूह से जुड़े है और डिमांड पर वह बाहर सप्लाई भेजते है।

पति की मौत के बाद टूटी नहीं, बनी मिसाल
पति की मौत के बाद हिम्मत नहीं हारी और कड़ी लग्न व मेहनत के बूते पर न केवल उत्पाद बनाने शुरू किए, अपितु अन्य महिलाओं को भी रोजगार देने का काम जिला ऊना के स्वयं सहायता समूह की प्रधान कांता ने किया है। 68 वर्षीय महिला कांता शिमला में नाबार्ड की इस प्रदर्शनी में स्वेटर-जुराबें आदि उत्पाद लेकर आई है। कांता ने शुरुआती दौर में रौली का धागा लाकर जुराबें और स्वेटर बुनना शुरू किया। छोटे बच्चों के लिए रंग-बिरंगे कपड़े तैयार किए और काफी कम दामों पर बेचे। धीरे-धीरे कपड़ों के ऑर्डर आने लगे। तय समय के भीतर लोगों को उनकी च्वाइस के मुताबिक कपड़े बनाकर दिए। इससे घर खर्च के अलावा अपनी बचत भी होने लगी। इसी कमाई से दोनों बेटों की शादी करवाई। दूसरी महिलाएं भी काम सीखने आने लगी और आज 60 महिलाओं को रोजगार मिला है।
140 लोगों को दे रहे रोजगार
जागृति सेल्फ हेल्प गु्रप वर्तमान में 140 लोगों का समूह है, जो अपनी मेहनत के बूते पर उत्पादों को तैयार कर रहा है। नाबार्ड के सौजन्य से इस समूह के गठन के बाद 140 लोगों के घरों का चूल्हा जल रहा है। जागृति समूह न केवल किन्नौरी कोट व किन्नौरी टोपी को बना रहा है, अपितु ड्राई फ्रूट सहित किन्नौर के उत्पादों को भी पहचान दिलाने और लोगों तक इन्हें पहुंचाने के कार्य में जुटा हुआ है।


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