ग्रामीण मजदूरों पर लाठीचार्ज, विधानसभा को कूच कर रहे ग्रामीणों से पुलिस ने की मारपीट

By: Mar 18th, 2023 12:07 am

पंजाब विधानसभा को कूच कर रहे ग्रामीणों से पुलिस ने की मारपीट, आई चोंटें

नीलम ठाकुर—मोहाली

आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार द्वारा भूमिहीन दलित खेतिहर मजदूरों की मांगों को स्वीकार करने के बजाय किए जा रहे भेदभाव के खिलाफ शुक्रवार को पंजाब के आठ ग्रामीण और खेतिहर मजदूर संगठनों के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा की ओर कूच कर रहे मजदूरों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया। लाठीचार्ज के कारण कई कामकाजी पुरुषों और महिलाओं को मामूली चोटें आईं। इसके बाद सरकार ने 29 मार्च को बैठक कर कार्यकर्ताओं को खुश किया। इससे पहले पूरे पंजाब से भूमिहीन खेतिहर मजदूर श्री गुरुद्वारा अंब साहिब के सामने पहुंचे।

इस मौके पर भूमि अधिग्रहण संघर्ष समिति के अध्यक्ष मुकेश मालोद, पंजाब खेत मजदूर सभा की देवी कुमारी सरहाली कलां, ग्रामीण मजदूर सभा के गुरनाम दाऊद, क्रंतिकारी ग्रामीण मजदूर यूनियन पंजाब के लखवीर लॉगोनवाल, मजदूर मुक्ति मोर्चा पंजाब के भगवंत समौन, पंजाब खेत जोरा सिंह शामिल हुए। मजदूर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष नसराली और ग्रामीण मजदूर यूनियन पंजाब के कश्मीर सिंह घुगशोर ने संबोधित करते हुए कहा कि भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में राज्य सरकार को सत्ता में आए एक साल हो गया है और उसकी एक साल की उपलब्धि शून्य है। इस मौके पर नेताओं ने कहा कि ‘आप’ सरकार के एक साल के प्रदर्शन में खेतिहर मजदूरों के लिए कोई काम नहीं किया गया है।

नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को साल में छह बार मिलने का समय दिया था, लेकिन उन्होंने हर बार मना कर दिया। नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने अलग-अलग कैटेगरी के लिए बजट में पैसा तो रखा है, लेकिन खेतिहर मजदूरों का जिक्र तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि पिछले बजट में एक शब्द लिखा था कि खेतिहर मजदूरों के कल्याण के लिए काम किया जाएगा, लेकिन इस बजट में मजदूर शब्द डालना ठीक नहीं समझा गया। नेताओं ने कहा कि सत्ता में आने से पहले भगवंत मान की जुबान पर मोती महल और सिसवां फार्म निशाने पर थे, सत्ता में आने के बाद आम लोगों को विस्थापित किया जा रहा है, लतीफपुरा इसका स्पष्ट उदाहरण है। उनका आरोप है कि राज्य की मान सरकार में जहां गरीब परिवार हजारों जरूरतमंद श्रमिक परिवारों के राशन कार्ड काटकर भुखमरी का सामना करने को विवश हो रहे हैं।