मोटे अनाज कुपोषण से लडऩे के लिए उपयुक्त

आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ताओं एवं वृत्त पर्यवेक्षकों के साथ मिलकर किया गृह भ्रमण

निजी संवाददाता-सुजानपुर
राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के अंतर्गत मोटे अनाज पर जनमानस को जागृत करने हेतु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं एवं वृत्त पर्यवेक्षकों के साथ विकास खंड सुजानपुर के विभिन्न क्षेत्रों में गृह भ्रमण किया गया। इस दौरान विभिन्न परिवारों और देखभालकर्ताओं से संवाद व्यक्त किए। यह जानकारी सीडीपीओ सुजानपुर कुलदीप सिंह चौहान ने दी। उन्होंने बताया कि गृह भ्रमण लाभार्थियों से सीधे संपर्क करने, उनके देखभालकर्ताओं, परिवारों को जागरूक करने के दिए गए निर्देशों एवं सुझावों पर फॉलोअप लेने तथा पोषण प्रगति पर फीडबैक लेने का महत्त्वपूर्ण साधन हैं।

सुपर फूड एवं स्मार्ट फूड के नाम से विख्यात हो रहे हमारे परंपरागत मोटे अनाज सूक्ष्म पोषक तत्वों से परिपूर्ण हंै तथा कुपोषण से लडऩे के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं। हाल ही में न्यूट्रिएंट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार संतुलित आहार में चावल जैसे लोकप्रिय भारतीय भोजन के स्थान पर बाजरा जैसे मोटे अनाजों का प्रयोग किया जाए, तो बच्चों और किशोरों के विकास में 26 प्रतिशत से 39 प्रतिशत तक तेजी आ सकती है। अध्ययन के अनुसार तीन-चार-पांच वर्ष आयु वर्ग के जिन बच्चों को मोटे अनाज वाला खाना दिया गया उनकी लंबाई में चावल खाने वाले बच्चों की तुलना में लंबाई में 28.2 प्रतिशत, वजन में 26 प्रतिशत बांह के ऊपरी हिस्से की मोटाई में 39 प्रतिशत तथा सीने की परिधि में 37 प्रतिशत तक की अधिक वृद्धि दर्ज की गई। चावल आधारित इन खानों में फल, सब्जी, डेरी पदार्थ इत्यादि भी सम्मिलित किए गए थे। इस अवसर पर नवजात एवं कुपोषित बच्चों की वृद्धि और विकास का घर घर जाकर आंकलन किया गया तथा आंगनबाड़ी केंद्रों, विद्यालयों एवं घरों में पोषण वाटिकाओं के विकास की प्रगति का अवलोकन भी किया गया।