चिंताओं को दूर करती हैं माता चिंतपूर्णी

By: Mar 23rd, 2023 12:18 am

श्रद्धा -आस्था का प्रतीक है प्रसिद्ध शक्तिपीठ छिन्नमस्तिका धाम, पूरी होती हैं मनोकामनाएं

दिव्य हिमाचल टीम-चिंतपूर्णी
प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। प्रदेश के हर कोने में देवी-देवताओं का वास है जो कि लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। ऊना का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता श्री चिंतपूर्णी का नाम भी पूरे देश में सुविख्यात है। माता श्री चिंतपूर्णी अर्थात चिंताओं को दूर करने वाली देवी जिसे छिन्नमस्तिका भी कहा जाता है। देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है विश्वविख्यात छिन्नमस्तिका धाम माताश्री चिंतपूर्णी। मान्यता अनुसार इस स्थान पर विष्णुचक्र द्वारा कटे सती के शरीर के चरण पड़े थे। प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंदिर जिला मुख्यालय ऊना से 50 किलोमीटर की दूरी पर अंब उपमंडल के भरवाईं से तीन किलोमीटर दूर चिंतपूर्णी में स्थितहै। देवी भक्त माईदास के पिता दुर्गा माता के परमभक्त थे और माई दास भी अपने पिता की भांति दुर्गा मां का अनन्य भक्त था। माईदास के दो भाई इसे पसंद नहीं करते थे। पिता ने अपने जीते-जी ही माईदास की शादी करवा दी थी और उसकी पूजा भक्ति से प्रसन्न होकर वह उसके परिवार का पूरा ध्यान रखते थे। लेकिन जब पिता स्वर्ग सिधार गए तो दोनों भाइयों ने उसे अलग कर दिया। माईदास के परिवार पर अनेक मुसीबतें आई परंतु उसकी आस्था मां दुर्गा में अटूट बनी रही और उसका विश्वास था कि मां दुर्गा की कृपा से सब कुछ ठीक हो जाएगा। माईदास का ससुराल पिरथीपुर नामक गांव में था। उन दिनों यातायात की सुविधाएं नहीं थी। एक बार जब माईदास छपरोह से गुजर रहा था तो वह यहां पर स्थित वटवृक्ष के नीचे विश्राम करने के लिए लेट गया। कुछ समय पश्चात उसे नींद आ गई। उसी सपने में एक कन्या के दर्शन हुए। कन्या ने सपने में माईदास से कहा कि तुम मेरी यहां नित्य प्रेम पूर्वक अराधना आरंभ करो। स्वप्न टूटने पर माईदास को कुछ भी दिखाई नहीं दिया। उसके उपरांत वह अपने ससुराल चला गया। रात को बिस्तर पर लेटने पर लाख कोशिश करने के उपरांत भी उसे नींद नहीं आईं तो अंत में वह रात्रि के समय ही ससुराल से छपरोह आ पहुंचा तथा यहां आकर मां के आगे विनम्रता पूर्वक प्रार्थना करने लगा कि मां अगर तुम सच्ची हो तो तुम मुझे अभी दर्शन दो। माईदास की प्रार्थना से संपन्न होकर माता ने कन्या रूप में दर्शन दिए और कहा कि चिरकाल से यहां स्थित वटवृक्ष के नीचे मेरा घर है, तुम यहां पूजा अर्चना शुरू कर दो।

यहां पर पूजा-अर्चना करने से तुम्हारे और अन्य सभी लोगों के कष्ट एवं चिंताएं खत्म हो जाएंगी। माईदास ने कन्या से कहा कि न ही यहां मेरे रहने की कोई व्यवस्था है और न ही पीने के लिए पानी का प्रबंध है। यह सुनकर कन्या ने कहा कि मैं सभी लोगों के ऊपर अपना प्रकाश डालूंगी, जिससे वह यहां मेरा मंदिर बनाएंगे। यहां से 50 गज की दूरी पर पहाड़ी के नीचे एक पत्थर को उखाडऩे से पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा। कन्या ने कहा कि मेरी पूजा के समस्त अधिकार आपके तथा आपके परिवार के होंगे। आपके वंश के लिए किसी प्रकार का सूतक-पातक का बंधन नहीं होगा। यहां पर किसी प्रकार का गलत अत्याचार या गलत कार्य होने पर, मैं किसी भी कन्या में प्रेवश कर आपकी समस्या का समाधान करूंगी। तदपश्चात कन्या पिंडी के रूप में लुप्त हो गई। एक प्राचीन वटवृक्ष की छाया तले मां का भव्य मंदिर बना है जिसमें मां के प्रतीक के रूप में माता की पिंडी विद्यमान है। एक अन्य प्रचलित कहानी के अनुसार चिंतपूर्णी मंदिर में एक तालाब है जिसका जीर्णोद्धार महाराज रणजीत सिंह ने करवाया था। मंदिर के प्रागंण में स्थित वटवृक्ष अती प्राचीन है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां स्थित वटवृक्ष की शाखाओं में डोरियां बांधने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माता श्री चिंतपूर्णी में प्रत्येक वर्ष श्रावण अष्टमी, चैत्र एवं आश्विन के नवरात्र में मेले लगते हैं। इस दौरान यहां देश के विभिन्न कोनों से लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं और माता श्री चिंतपूर्णी में शीश निभाते हैं। यह भी सत्य है कि मां अपने श्रद्धालुओं की चिंताएं दूर करके उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उनके आंचल को खुशियों से भर देती है।

24 घंटे खुले रहेंगे मंदिर के कपाट
मंदिर न्यास माता श्री चिंतपूर्णी के अध्यक्ष एवं उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने बताया कि चैत्र नवरात्र मेले के दौरान कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेला क्षेत्र को चार सेक्टर में बांटा गया हैं तथा पर्याप्त मात्रा में पुलिस व होमगार्ड जवान नियुक्त किए हैं। असामाजिक तत्वों के जरिए होने वाली अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए मेले के दौरान मंदिर व मेला परिसर में सीसीटीवी कैमरें भी लगाए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए माता श्री चिंतपूर्णी के कपाट 24 घंटे खुले रहेंगे ताकि श्रद्धालुओं को दर्शनार्थ के लिए किसी प्रकार की असुविधा न हो। मंदिर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्वच्छ पेयजल तथा शौचालय की सुविधा विभिन्न स्थलों पर मुहैया करवाई गई है। इसके अतिरिक्त मेले के दौरान श्रद्धालुओं को आपातकालीन चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करने को चिंतपूर्णी अस्पताल में 24 घंटे सेवाएं प्रदान की जाएंगी।


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