सरस्वती तीर्थ पर हिंदू-सिख एकता का नजारा, चैत्र चौदस मेले ने एक सूत्र में पिरोए दो समुदायों के लोग
मुकेश डोलिया — पिहोवा
ऐतिहासिक धर्मनगरी पिहोवा के सरस्वती तीर्थ पर चैत्र चौदस मेले के यादगार लम्हों ने हिंदू और सिख समुदाय के लोगों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। दोनों समुदाय के लोग इस तीर्थ के पवित्र जल में एक साथ डुबकी लगाकर अपने पितरों की शांति के लिए कामना करते नजर आ रहे थे। चैत्र चौदस मेले के दूसरे दिन सुबह होते ही हिंदू सिख एकता का दृश्य हजारों साल पुरानी परंपरा को बयां कर रहा था। रोचक पहलू यह है कि राजस्थान-हिमाचल और पंजाब से आने वाले कुछ परिवार पूरे एक साल इस मेले के आने का इंतजार करते है। इस मेले के जरिए ही इन परिवारों में दोस्ताना संबंध स्थापित हुए। कई परिवारों ने तो भाई चारा तक कायम कर लिया है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वे हर वर्ष चैत्र चौदस मेले में पितरों की आत्मिक शांति के लिए आते है।
क्या है हिंदू-सिख एकता का रहस्य
पिहोवा में सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी, छठी पातशाही गुरु हरगोबिंद, नौवीं पातशाही गुरु तेग बहादुर व 10वीं पातशाही गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस पवित्र शहर में आए। इस प्रकार भगवान शिव शंकर, भगवान श्रीकृष्ण सहित अनेक देवी देवताओं ने इस धर्म नगरी में आए थे। इसलिए चैत्र चौदस मेले पर दोनों समुदाय के लोग श्रद्धा भाव से आते हैं।
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