मनरेगा मजदूरों को वॉशिंग मशीन-साइकिल मिलने पर सस्पेंस

By: Mar 23rd, 2023 12:12 am

ऊना में कामगार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत मजदूर लाभों से हो सकते हैं वंचति, पहले काम पूरा होने पर मिलती थी सौगात

अजय ठाकुर- गगरेट
हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत मनरेगा मजदूर अब बोर्ड द्वारा दिए जाने वाले लाभों से वंचित हो सकते हैं। हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड द्वारा हर साल पंजीकृत मनरेगा मजदूरों को वाशिंग मशीन, साइकिल सहित कई वस्तुएं उपहार स्वरूप दी जाती थीं लेकिन अब इन्हें ऐसे लाभ से भी वंचित रहना पड़ सकता है। मनरेगा मजदूरों का कोई लेबर सैस एकत्रित न होने और जिन विभागों से लेबर सेस एकत्रित होता है उनके मजदूरों को इन लाभों से वंचित रखने पर बोर्ड को इसके विरोध का भी सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि अब श्रम एवं रोजगार विभाग मनरेगा मजदूरों को बोर्ड के माध्यम से दिए जाने वाले लाभों में शामिल न करने पर विचार कर रहा है।

हिमाचल प्रदेश में भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड का गठन होने के बाद विभिन्न निर्माण एजेंसियों के माध्यम से एकत्रित होने वाला लेबर सेस हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार बोर्ड को ही जाता था। इस बोर्ड के गठन के बाद मजदूरों के कल्याण के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई गईं। इसमें मजदूर के बच्चों की शिक्षा, मजदूर परिवार की स्वास्थ्य सुविधाओं के खर्च के साथ कई अन्य कार्यों के लिए भी आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। यही नहीं बल्कि बोर्ड द्वारा तय कार्य दिवस पूरा कर लेने वाले मनरेगा मजदूरों को वाशिंग मशीन, साइकिल, इंडक्शन चूल्हे सहित कई प्रकार का सामान भी नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाता था। बेशक लेबर सेस एकत्रित करने में मनरेगा का कोई योगदान नहीं है लेकिन ये सामान केवल मनरेगा मजदूरों को ही मिल रहा था जबकि जिन एजेंसियों के माध्यम से लेबर सेस एकत्रित होता है उन एजेंसियों के माध्यम से निर्माण कार्योंं में लगे मजदूरों को ये लाभ नहीं मिल पा रहे थे। इसका कई ठेकेदारों ने भी विरोध किया। बताया जा रहा है कि इसके बाद श्रम एवं रोजगार विभाग भी मनरेगा मजदूरों को इन लाभों के दायरे से बाहर करने पर विचार कर रहा है। (एचडीएम)

कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा श्रम विभाग

पहले से ही तीन श्रम निरीक्षकों के सहारे जिला ऊना में चल रहे श्रम विभाग में एक श्रम निरीक्षक का पद ही खाली चल रहा है। यही नहीं बल्कि जिला श्रम अधिकारी के कार्यालय में भी एक क्लर्क व दो चपरासी के पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में मजदूरों की समस्याएं कैसे हल होंगी और उन्हें उनके हक कैसे मिलेंगे इस पर संशय बरकरार है। पहले ही जहां तीन श्रम निरीक्षकों के लिए जिले में कार्यरत उद्योगों के साथ शाप एक्ट की अनुपालना करवाना आसान नहीं वहीं अब यह जिम्मेदारी दो श्रम निरीक्षक ही निभा रहे हैं। श्रम निरीक्षक ऊना का पद रिक्त चल रहा है। ऐसे में मजदूरों का क्या भला होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।


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