नहीं डराएगी आग…हाईटेक हुआ वन विभाग
देहरादून का फोरेस्ट फायर अलर्ट मैसेजिंग सिस्टम बचाएगा सिरमौर के जंगल, कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द
सुभाष शर्मा – नाहन
हर साल लाखों की वन संपदा को अग्निकांड से बचाने के लिए वन विभाग प्रदेश को फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून के द्वारा परंपरागत व्यवस्थाओं से हटकर अब फोरेस्ट फायर अलर्ट मैसेजिंग सिस्टम को विकसित कर इस दिशा में आगे बढ़ाया गया है। यह सिस्टम 24 घंटे तेजी से कार्य कर वन संपदा को अग्निकांड की सूचना देने में जहां सक्षम है, तो वहीं पूरा सिस्टम ऑटोमैटिक प्रभावी तरीके से समय रहते एक्टिव रहता है। वहीं वन विभाग के कर्मचारी, अधिकारी, उच्चाधिकारियों के बीच एसएमएस सिस्टम से आग लगने का मैसेज पहुंचाकर त्वरित कार्रवाई के लिए प्रेषित कर रहा है। बता दें कि फायर सीजन में अग्निकांड वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आती है चूंकि अधिकतर जंगलों की आग मानवीय कारणों से लग रही है। ऐसे में लंबे चौड़े भू-भाग पर फैले जंगलोंको आग से बचाने के लिए और समय रहते उस पर काबू पाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने इन दिनों जहां फील्ड स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी हैं, वहीं, टास्क फोर्स को त्वरित कार्रवाई के लिए भी तैनात रखा गया है। जिला सिरमौर के कुल 2825 क्षेत्रफल में से जानकारी अनुसार 1393.56 हेक्टयेर यानी 49.33 प्रतिशत एरिया वन क्षेत्र के तहत आता है। जिसमें 11 प्रतिशत हिस्सा सिरमौर में घने वन क्षेत्र के तहत आता है तो वहीं 48 प्रतिशत वन क्षेत्र घना वन क्षेत्र श्रेणी का है, जबकि 40 प्रतिशत फोरेस्ट एरिया ओपन फोरेस्ट श्रेणी का है। वहीं आग की दृष्टि से सिरमौर वन विभाग के नाहन वन मंडल के तहत पांच वन रेंज, 11 ब्लॉक व 36 फोरेस्ट बीट उच्च संवेदनशील श्रेणी में रखी गई हैं। यहां पर चीड़ के जंगल सबसे अधिक संवेदनशील आगजनी के मामलों में आते हैं। जबकि राजगढ़ व पांवटा वन मंडलों में भी अग्निकांड लाखों की वन संपदा को हर साल निगल जाते हैं। वन विभाग के पिछले 21 साल के आग के आंकड़ों पर गौर करें तो वन मंडल राजगढ़ के नारग रेंज के तहत सर्वाधिक 292 मर्तबा आगजनी की घटनाएं पेश आई हैं। वहीं नाहन वन मंडल की नाहन रेंज के तहत 284 आग के मामले , जबकि राजगढ़ के सराहां रेंज के तहत 268 आगजनी की घटनाएं पेश आ चुकी हैं।
इसी तरह से नाहन के जमटा के तहत 248 व कोलर के तहत 210 आग की घटनाएं पेश आ चुकी हैं। वहीं आग की घटनाओं में राजगढ़ के हाब्बन के तहत 210 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं रेणुकाजी वन मंडल के तहत रेणुका रेंज के तहत 157 घटनाएं, वन विभाग सर्किल नाहन के तहत जारी आंकड़ों के अनुसार पेश आ चुकी हैं। वहीं नाहन के त्रिलोकपुर, पांवटा साहिब के माजरा, पांवटा साहिब, शिलाई, गिरिनगर, संगड़ाह, नौहराधार, भंगानी इत्यादि क्षेत्र ऐसे हैं जहां 100 के करीब आग की घटनाएं पेश आ चुकी हैं। उधर वन विभाग का साफ आकलन वन क्षेत्र की आग की घटनाओं से सामने आया है कि वनों की आग प्राकृति तौर पर प्रदेश व जिला में नगण्य है, जबकि गैर इरादतन व इरादत्तन आगजनी से वनों में आग की घटनाएं घटित हो रही हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जंगलों के रास्ते गुजरते हुए जहां बीड़ी-सिगरेट, माचिस को जलाते हुए कंडीशन में फेंकने से सबसे अधिक ड्राई फोरेस्ट में आगजनी की घटनाएं घटित हो रही हैं। वहीं चीड़ के जंगलों में सूखी पत्तियों में बिजली के खंभों से चिंगारी की कंडीशन में आगजनी की घटनाएं पेश आ चुकी हैं। वहीं जान-बूझकर अमूल्य वनों को नई घास कोंपलों के उगने के चलते पुराने घास को आग के हवाले करना, अवैध वन कटान के साक्ष्यों को छिपाने के लिए आगजनी करना, अवैध वन्य जीवों के शिकार के लिए जंगलों में आगजनी करना, ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों को आवासीय इलाकों से दूर रखने के उद्देश्य से आगजनी करना मानवीय कारणों से घटित होने वाली वनों की आग के कारण सामने आए हैं। जिस
पर व्यापक चिंतन व जागरूकता केक साथ वन संपदा को बचाने के लिए लोगों को आगे आने की जरूरत है। -एचडीएम
जंगल में आग लगना…आम बात
वन विभाग वृत्त नाहन का मानना है कि वनों की आग एक साल में नियमित तौर पर घटित होने वाली प्रक्रिया है। जिसके लिए विभाग का फील्ड स्टाफ जहां आगजनी से निपटने के लिए परंपरागत तरीके अपना रहा है। जिसमें वनों में फायर लाइन को क्लीयर करना है। वहीं विभाग को अब आधुनिक टूल के माध्यम से भी आग पर कंट्रोल करने की जरूरत पर बल दिया जा रहा है।
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