प्रतिस्पर्धी देश के रूप में भारत की अनुकूलताएं

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़ी हुई अनिश्चितताओं के बीच भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन दुनिया में भारत की अहमियत बढ़ा रहा है। वर्ष 2023 में कुल वैश्विक विकास में भारत 15 फीसदी से भी अधिक का योगदान देगा…

इन दिनों प्रकाशित हो रही विभिन्न वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्टों में यह रेखांकित हो रहा है कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी भारत अनुकूल क्रेडिट रेटिंग के साथ दुनिया में आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में उभरकर आगे बढ़ रहा है। 18 मई को दुनिया की प्रमुख अमरीका की एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की सॉवरिन रेटिंग स्थिर परिदृश्य के साथ दीर्घावधि के लिए ‘बीबीबी’ और कम अवधि के लिए ‘ए-3’ रखी है। यह परिदृश्य बताता है कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और राजस्व में अच्छी वृद्धि राजकोष को मजबूती प्रदान करेगी। साथ ही एसऐंडपी ने उम्मीद जताई है कि भारत की वास्तविक वृद्धि दर वित्त वर्ष 24 में 6 प्रतिशत रहेगी क्योंकि निवेश और उपभोक्ताओं का रुख वृद्धि में अगले कुछ साल तक मददगार रहेगा। ऐसे में वित्त वर्ष 25 और वित्त वर्ष 26 में भारत के लिए 6.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। गौरतलब है कि 11 मई को प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में चुनौतीपूर्ण वैश्विक वित्तीय स्थिति के बावजूद भारत वैश्विक आर्थिक झटकों को इसलिए सरलतापूर्वक झेल जाएगा, क्योंकि भारत का चालू खाते के घाटे (सीएडी) में सुधार हुआ है। चालू खाते का घाटा कम अवधि की प्रमुख विदेशी देनदारी के रूप में पहचाना जाता है। इससे विनिमय दर और विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित होती है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि 9 मई को वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की रेटिंग बीबीबी बरकरार रखी है। दीर्घ अवधि के ऋण पर भारत का परिदृश्य स्थिर रखा है। रेटिंग निर्धारित करते हुए फिच ने कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में सरकार के सहयोग से कंपनियों और बैंकों के बहीखाते में काफी सुधार हुआ है और आधारभूत संरचना के विकास पर भी अधिक ध्यान दिया जा रहा है। निजी क्षेत्र भी बड़े स्तर पर निवेश करने की तैयारी कर रहा है।

फिच ने कहा कि बढ़ी महंगाई, ऊंची ब्याज दरों और वैश्विक स्तर पर मांग में कमी की बड़ी चुनौतियां के बीच भारत की आंतरिक वित्तीय स्थिति थोड़ी कमजोर जरूर है और प्रति व्यक्ति आय और विश्व बैंक के मानकों पर भी भारत थोड़ा फिसला है। लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं काफी मजबूत हैं और विदेश से आने वाले वित्तीय संसाधन भी संतोषप्रद हैं। निवेश की बेहतर संभावनाओं के बीच वित्त वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर 6 फीसदी और वित्त वर्ष 2024-25 तक देश की आर्थिक वृद्धि दर बढक़र 6.7 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। इसी प्रकार एक्यूट क्रेडिट रेटिंग्स एंड रिसर्च ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के चालू खाते के घाटे से संबंधित अपने पूर्वानुमान को संशोधित किया है। इसे 106 अरब डॉलर से घटाकर 68 अरब डॉलर कर दिया है और भुगतान संतुलन घाटा भी पहले के 38 अरब डॉलर से घटाकर 17 अरब डॉलर कर दिया है। कहा गया है कि इस वर्ष कच्चे तेल का आयात बिल कम होने, निर्यात बढऩे व प्रवासियों से विदेशी मुद्रा की अधिक प्राप्ति से भारत की वैश्विक साख बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़ी हुई अनिश्चितताओं के बीच भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन दुनिया में भारत की अहमियत बढ़ा रहा है। वर्ष 2023 में कुल वैश्विक विकास में भारत 15 फीसदी से भी अधिक का योगदान देगा।

जहां पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर दुनिया में सबसे अधिक रही है, वहीं आगामी वित्त वर्ष 2023-24 में भी भारत की विकास दर 6.1 फीसदी के साथ फिर सर्वोच्च होगी। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक सामायिक मामलों के विभाग के द्वारा प्रस्तुत ‘विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं 2023’ रिपोर्ट में भी भारत को उद्योग कारोबार और निवेश के मद्देनजर विश्व का प्रमुख निवेश स्थल बताया गया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारत का बढ़ता विदेश व्यापार और भारत का बढ़ता निर्यात भारत की वैश्विक क्रेडिट रेटिंग को संतोषप्रद बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च ‘इनीशिएटिव’ (जीटीआरआई) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आर्थिक अस्थिरताओं के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का विदेश व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 1.6 लाख करोड़ डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का विदेश व्यापार 1.43 लाख करोड़ डॉलर रहा था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का विदेश व्यापार पिछले वर्ष के विदेश व्यापार से और अधिक ऊंचाई पर पहुंच सकता है।

इस समय भारत के तेजी से बढ़ते निर्यातों का ग्राफ इस बात का प्रतीक है कि भारतीय उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। भारत का वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में 447.46 अरब डॉलर रहा है, जो एक साल पहले 422 अरब डॉलर था। साथ ही सेवाओं का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 322.72 अरब डॉलर रहा है,जो एक साल पहले 254.53 अरब डॉलर था। ऐसे में वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 770.18 अरब डॉलर की सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंच गया है। बढ़ते हुए वैश्विक खाद्यान्न संकट के बीच भारत में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन और खाद्यान्न का बढ़ता निर्यात भारत की दुनिया में आर्थिक व मानवीय साख बढ़ा रहा है। भारत विश्व पटल पर कृषि निर्यात के नए उभरते हुए देश के रूप में उपस्थिति दर्ज करते हुए मानवता के आधार पर दुनिया के जरूरतमंद देशों के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर रहा है। भारत से खाद्य पदार्थों अनाज, गैर बासमती चावल, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के अलावा फलों एवं सब्जियों के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है। सरकार के द्वारा कृषि क्षेत्र में ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया गया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार ने वर्ष 2021-22 में 50 अरब डॉलर से अधिक का कृषि निर्यात किया है, वह वर्ष 2022-23 में 56 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर है तथा अब नई विदेश व्यापार नीति से कृषि निर्यात नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगा। वल्र्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट 2021 के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है।

यद्यपि दुनियाभर में भारत सबसे तेज अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में रेखांकित हो रहा है और भारत की वैश्विक आर्थिक साख संतोषप्रद है। लेकिन अभी भी वैश्विक क्रेडिट रेटिंग को सुधारने और उसे ऊंचाई देने के लिए कई बातों ध्यान देना जरूरी है। हमें देश की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से आगे बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को निर्यात प्रधान अर्थव्यवस्था बनाना होगा। दुनिया के विभिन्न देशों के साथ शीघ्रतापूर्वक मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को आकार देना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा डिजिटल रुपए की जो प्रायोगिक शुरुआत हुई है, उसे अब शीघ्रता से विस्तारित करना होगा। हम उम्मीद करें कि इस वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता की कमान रखते हुए भारत वैश्विक क्रेडिट रेटिंग को और अनुकूल बनाने के लिए मेक इन इंडिया और मेक फॉर ग्लोबल की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा। हम उम्मीद करें कि भारत दुनिया का नया आपूर्ति केंद्र बनने, अधिक विदेशी निवेश और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की संभावनाएं मुठ्ठियों में लेते हुए दिखाई देगा। ऐसे प्रयासों से हमारी वैश्विक क्रेडिट रेटिंग में इजाफा होगा और आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में आगे बढ़ेगा इससे अर्थव्यवस्था और आम आदमी भी लाभान्वित होगा।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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