प्राइवेट यूनिवर्सिटी में पीएचडी की 30 फीसदी सीटों पर कट, शिकायतों पर नियामक आयोग का फैसला

स्टाफ रिपोर्टर-शिमला
प्रदेश में चल रही निजी विश्वविद्यालय में राज्य शिक्षण नियामक आयोग की ओर से पीएचडी की सीटें कम कर दी गई है, लेकिन इस बार इन सीटों में रेगुलेटरी कमिशन की ओर से 30 पीस टिकट लगाया गया है। कारण यह कि पिछले काफी समय से नियामक आयोग को भी शिकायतें मिल रही थी कि प्राइवेट यूनिवर्सिटीज पीएचडी तो करवा रही है, लेकिन उसके लिए यूजीसी के जो नियम तय किए गए हैं उनका सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है।
इन्हीं शिकायतों के आधार पर रेगुलेटरी कमीशन ने अपने स्तर पर जांच की तो पाया कि बहुत सी ऐसी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज है जो बिना मान्यता के नियमों को दरकिनार कर रही है। इसमें पीएचडी करवाने वाले गाइड की उम्र सहित क्वालिटी एजुकेशन को भी दरकिनार किया जा रहा है। इन्हीं कारणों को देखते हुए अब रेगुलेटरी कमीशन ने नए सत्र में पीएचडी की 30 सीटों में सभी यूनिवर्सिटीज के लिए कट लगाया है।
यानी केवल 70 फीसदी सीटें ही प्राइवेट यूनिवर्सिटी के लिए तय की गई है। इन सीटों पर अलग-अलग विभागों में प्रवेश ले सकते हैं। इसके साथ ही रेगुलेटरी कमीशन की ओर से यह भी निर्देश जारी किए गए हैं कि आने वाले समय में यदि कोई नियमों को दरकिनार करता है तो उस पर आयोग की ओर से सख्त कार्रवाई की जाएगी। इन नियमों में सबसे पहले यह देखना होगा कि यूनिवर्सिटी पीएचडी करवा रही है उसके पास सभी विभागों में पीएचडी करवाने के लिए स्किलड प्रोफेसर का होना जरूरी है। इसके साथ ही छात्रों को विभागों में रिसर्च व के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाएं होना भी जरूरी है उसके बाद ही यह प्राइवेट यूनिवर्सिटी पीएचडी करवा सकती है।