साइबर सुरक्षा और उपभोक्ता

By: May 25th, 2023 12:05 am

किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ पिन और ओटीपी साझा न करें जिस पर आप भरोसा नहीं करते हैं या ऐसी परिस्थितियों में भरोसा नहीं किया जा सकता है। हमेशा अवांछित कॉलर्स, ई-मेल्स, एसएमएस को संदेह की दृष्टि से देखेंं…

पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली व ई-कॉमर्स की ओर बढ़ रहा है। इन सबके साथ साइबर हमले भी बढ़ रहे हैं। साइबर हमलों के खतरे को जानने के लिए कुछ आंकड़े बहुत प्रासंगिक हैं। हाल के समाचारपत्रों की रिपोर्ट और अन्य अध्ययन तथा सर्वेक्षण बताते हैं कि भारत में 2022 की पहली छमाही में फिरौती व ठगी की घटनाओं और बहुमत के हमलों में 51 फीसदी की वृद्धि हुई है। एम्स, नई दिल्ली ने पाया कि उसकी इन्टरनेट में सेंध लगा कर सेवाओं से समझौता किया गया और अनुचित नेटवर्क विभाजन के कारण एम्स के पांच सर्वर प्रभावित हुए। 2023 में प्राइस वाटर हाउस कूपर्स प्राइवेट लिमिटेड की महत्वपूर्ण रिपोर्ट में यह पाया गया कि भारत में आधे से अधिक धोखाधड़ी की घटनाएं ‘प्लेटफॉर्म’ धोखाधड़ी थीं, जो आर्थिक अपराध का एक नया रूप है, जिसमें सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स, उद्यम और फिनटेक प्लेटफॉर्म से जुड़ी धोखाधड़ी गतिविधियां शामिल हैं। 11 मई को भारत की रिपोर्ट ‘इंडिया डिजिटल वेलनेस रिपोर्ट’ के अनुसार ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन करने वाले उपभोक्ताओं में से 68 फीसदी (10 में से 7) अपने निजी बैंक विवरणों को उन वेबसाइटों पर सहेजना चाहते हैं, जिन पर वे भरोसा करते हैं, जबकि अधिकांश 83 फीसदी उपभोक्ता वित्तीय धोखाधड़ी के तरीके से परिचित हैं।

डा. राजेश पंत भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक हैं। उनके अनुसार भारत में प्रतिदिन 3500 ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामले देखे जाते हैं। एफबीआई के अनुसार अपनी इंटरनेट क्राइम रिपोर्ट 2021 में, भारत में अमेरिका, यूके और कनाडा के बाद चौथी सबसे बड़ी संख्या में साइबर अपराध की घटनाएं दर्ज की गई थी। हम सभी आजकल जालसाजों, धोखेबाजों यानी साइबर अपराधियों से बहुत अधिक खतरे में हैं। यह साइबर अपराधी लुटेरों का एक ऐसा गिरोह होता है जिसमें आईटी एक्सपर्ट, मिमिक्री करने में माहिर और चालाक पुरुष व महिला कोई भी हो सकता है, कई बार बच्चों को भी अपराध में यह शातिर इस्तेमाल कर लेते हैं। यह शातिर हैं व अक्सर उपभोक्ता की मजबूरी, नासमझी व भोलेपन का दुरुपयोग करते हुए ये लोग ई-कॉमर्स की जटिलताओं का गलत लाभ लेते हुए वारदात करते हैं। ई-कॉमर्स के अंतर्गत मुख्य रूप से बीमा, बैंकिंग, अस्पताल, परिवहन, पर्यटन, लॉजिंग और बोर्डिंग, खाद्य सेवाएं, आवास और निर्माण, बिजली, शिक्षा, एलपीजी/गैस सिलेंडर, मनोरंजन, दूरसंचार और इंटरनेट आदि सेवाएं आती हैं। इन्हीं सेवाओं में सबसे अधिक साइबर अपराधी आजकल भोले-भाले लोगों पर हमले करते हुए उनकी गाढ़ी कमाई पर सेंध लगा रहे हैं। भोले-भाले आम नागरिक, उद्योग, यहां तक कि बैंकर, प्रशासनिक अधिकारी, गृह निर्माता और राजनेता हर समय कहते हैं कि साइबर अपराध का खतरा आज के समय में है। हिमाचल प्रदेश में तो अभी हिमाचल पुलिस के रिटायर्ड डीजीपी भी इन जालसाजों के जाल में फंस गए थे। मुख्य साइबर अपराधी सिम अदला-बदली, सिम फिशिंग (ई-मेल के माध्यम से), विशिंग (वॉइस कॉल के माध्यम से), स्मिशिंग, मनी म्यूल और ट्रोजन आदि तरीके अपनाते हैं। इन जालसाजों की इस भाषा को आम जनता को समझना बहुत जरूरी है। सिम अदला-बदली में जालसाज फिशिंग, विशिंग, स्मिशिंग या किसी अन्य माध्यम से ग्राहक की निजी जानकारी जैसे आधार कार्ड, फोन नंबर आदि इक_ा करते हैं।

वे फिर मोबाइल ऑपरेटर से संपर्क करते हैं और बिना आपको बताए आपकी सिम ब्लॉक करवाते हैं और आपको मालूम ही नहीं चलता है। इसके बाद वे ग्राहक के रूप में फर्जी आईडी प्रूफ लेकर मोबाइल ऑपरेटर के रिटेल आउटलेट पर जाते हैं। मोबाइल ऑपरेटर असली सिम कार्ड को निष्क्रिय कर देता है और धोखेबाज को एक नया सिम प्राप्त हो जाता है। जालसाज तब चोरी की गई बैंकिंग जानकारी का उपयोग करके लेन-देन की सुविधा के लिए आवश्यक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) उत्पन्न करता है। यह ओटीपी जालसाज द्वारा रखे गए नए सिम पर प्राप्त होता है। इस स्थिति से बचने के लिए हमें जो सावधानियां बरतनी चाहिएं, वे हैं : यदि आपके मोबाइल नम्बर ने सामान्य अवधि से अधिक समय से काम करना बंद कर दिया है, तो अपने मोबाइल ऑपरेटर से पूछताछ करें कि कहीं आप घोटाले के शिकार तो नहीं हो गए हैं। अपने बैंक खाते में गतिविधियों के बारे में सूचित रहने के लिए एसएमएस और ईमेल अलर्ट के लिए पंजीकरण करें। किसी भी अनियमितता के लिए नियमित रूप से अपने बैंक स्टेटमेंट और लेन-देन के इतिहास की जांच करें। दूसरा साइबर अपराध फिशिंग (ई-मेल के माध्यम से) में जालसाज बैंक अधिकारियों के रूप में अपने को पेश करते हैं और ग्राहकों को नकली ईमेल भेजते हैं, उनसे ईमेल में एक लिंक पर क्लिक करके अपनी खाता जानकारी को तत्काल सत्यापित करने या अपडेट करने के लिए कहते हैं। लिंक पर क्लिक करने से ग्राहक एक नकली वेबसाइट पर चला जाता है जो बैंक की आधिकारिक वेबसाइट की तरह दिखती है, जिसमें उसकी व्यक्तिगत जानकारी भरने के लिए एक वेब फॉर्म होता है। इस प्रकार प्राप्त जानकारी का उपयोग ग्राहक के खाते में धोखाधड़ी वाले लेन-देन करने के लिए किया जाता है।

साइबर सुरक्षा बनाम उपभोक्ता सुरक्षा के कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं कि किसी भी ऑर्डर जैसे टिकट बुकिंग या रद्दीकरण आदि के लिए केवल पंजीकृत/अधिकृत वेब पोर्टल या मोबाइल ऐप का उपयोग करें। केवल प्ले स्टोर के मोबाइल ऐप से खरीददारी करने की सलाह दी जाती है। जालसाजों द्वारा भेजे गए किसी भी अनधिकृत या संदिग्ध लिंक को न खोलें। किसी भी ऐसे लिंक पर व्यक्तिगत विवरण और बैंक खाता विवरण पोस्ट न करें जो आपको अधिकृत या विश्वसनीय नहीं दिखता है। ऐनी डेस्क, क्विक सपोर्ट, टीम व्यूअर (अक्सर उपभोक्ता उत्पादों, वस्तुओं और सेवाओं के लिए रिमोट कनेक्टिविटी सॉफ्टवेयर उपयोग किए जाते हैं), ऐसे ऐप डाउनलोड या उपयोग कभी न करें। किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ पिन और ओटीपी साझा न करें जिस पर आप भरोसा नहीं करते हैं या ऐसी परिस्थितियों में भरोसा नहीं किया जा सकता है। हमेशा अवांछित कॉलर्स, ई-मेल्स, एसएमएस को संदेह की दृष्टि से देखेंं।

हेमांशु मिश्र

उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष


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