उद्घाटन समारोह का बहिष्कार तो बहाना है, असल मसला लोकसभा चुनाव में सत्ता हथियाना है
नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर मचा बबाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस सहित 20 से ज्यादा विपक्षी दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम से दूरी बनाने का फैसला लिया है। हालांकि कुछ दल ऐसे भी हैं, जो प्रधानमंत्री के साथ हैं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी उद्घाटन को लेकर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में देखने लायक होगा कि 28 मई को उद्घाटन पर कौन-कौन से सियासी दल किनारा करेंगे और कौन-कौन आएंगे। दरअसल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाना चाहते हैं और ऐसा नहीं होता है तो वे उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे। इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने बयान दिया है कि भाजपा इतिहास को बदलना चाहती है।
नए संसद भवन को बनाना ही नहीं चाहिए था। पुराने संसद भवन को ही रेनोवेट करना चाहिए था। हालांकि सभी को पता है कि कांग्रेस सहित 21 विपक्षी दल उद्घाटन समारोह का बहिष्कार क्यों कर रहे हैं। दरअसल, एक साल बाद लोकसभा इलेक्शन हैं और सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस कई दलों के साथ गठबंधन कर रही है, ताकि भाजपा को सत्ता से बाहर किया जा सके, जिसके चलते ऐसे कार्यक्रमों का बहिष्कार किया जा रहा है। बेशक 21 विपक्षी दल उद्घाटन समारोह के पक्ष में नहीं है, लेकिन कई ऐसे भी दल हैं, जो भाजपा के साथ हैं। उनमें शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो -नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद, बीएसपी, जेडीएस और शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं.
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