मध्यमहेश्वर मंदिर

By: Jun 3rd, 2023 12:21 am

उत्तराखंड की सुंदर घाटियों में पांच केदार स्थित हैं। जिनमें से रुद्रनाथ, कल्पेश्वर चमोली जिले में और केदारनाथ, तुंगनाथ, मध्यमहेश्वर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। ये सभी मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं और पांडवों द्वारा स्थापित हैं। आइए इन्हीं पांच केदारों में से एक केदार भगवान मध्यमहेश्वर या मद्महेश्वर के बारे में जानते हैं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शिव का मंदिर स्थित है। इसे मध्यमहेश्वर अथवा मद्महेश्वर के नाम से जाना जाता है। यह पांच केदारों में से एक केदार है और यहां भगवान शिव की नाभि की पूजा की जाती है। मध्यमहेश्वर मंदिर समुद्र तल से 3,497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपनी स्वर्ग की यात्रा के दौरान किया था।

मंदिर का केदारनाथ धाम से है खास नाता- इस मंदिर के चारों ओर चौखंबा के विशाल पर्वत हैं। मंदिर के कपाट भी निश्चित समय के लिए खुलते हैं और शीतकाल में कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ जी और भगवान मध्यमहेश्वर का शीतकालीन निवास स्थान होता है।

सुंदर घाटियों के बीच स्थित है यह मंदिर- मध्यमहेश्वर मंदिर से संबंधित मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मंदिर में पहुंचकर सच्चे मन से ध्यान लगाता है, उसे शिव के परम धाम में स्थान मिलता है। यहां पिंड दान का विशेष महत्त्व है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति यहां पिंड दान करता है, उनके पूर्वजों का उद्धार हो जाता है। साथ ही मान्यता है कि मंदिर परिसर में स्थित पानी की कुछ ही बूंदों से मोक्ष मिल जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस स्थान की सुंदरता को देखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती ने मधुचंद्र रात्रि यहीं बिताई थी। इस वजह से इस स्थल की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।


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