बरसात में नगरपालिका
इंसानों द्वारा किए जा रहे हवन के धुंए से प्रसन्न या कुपित होकर इंद्रदेव ने खूब पानी सप्लाई कर दिया। कई दुकानों में तो अन्दर तक पानी भर गया। दुकानदारों ने म्युनिसिपल कमेटी में फोन किया तो समझाया गया कि कुछ कर्मचारी छुट्टी पर हैं, बाकी शहर को हरा भरा बनाने के लिए वृक्षारोपण में अति व्यस्त हैं। हिम्मत कर अध्यक्ष को फोन किया तो उन्होंने सुना नहीं। पार्षद राजा को किया तो उन्होंने झट से काट दिया। काफी देर बाद बड़ी मुश्किल से पांच बंदे इकट्ठे होकर अध्यक्ष महाराज के दरबार में हाजिर हुए, शुक्र है जनाब मिल गए। उन्होंने अपना चश्मा हाथ में पकडक़र बड़े अदब से बताया, सरजी मैं तो मंत्रीजी को पौधे पकड़ा रहा था, उन्होंने पूरे एक सौ एक पौधे लगाए, आपको पता ही है चाहे कुछ भी हो जाए, हम सबने मिलकर अपना पर्यावरण तो बचाना ही है, आप लोगों की क्या सेवा करूं। आम लोगों ने खास बंदे से गुजारिश की, जनाब आप खुद चलकर देखें, बारिश के दो दिन बाद भी बाजार में इस समय डेढ़ फुट पानी खड़ा है। ग्राहक गायब, बिजनेस ठप्प, लोग हाथ में जूते उठाकर चल रहे हैं। घरों के बाहर भी पानी है, निकासी नहीं हो रही। अध्यक्ष बोले सकारात्मक सोचो मित्रो, कितना आशीर्वाद दिया इंद्रदेवजी ने, आपके घर के बाहर पानी है।
आपके घर में अगर सब ठीक है तो बच्चों को बोलो कागज की कश्तियां बना कर पानी में तैराएं। इस मौके पर आपको भी अपना बचपन याद आ जाएगा। जनता ने कहा यह संजीदा मामला है अध्यक्षजी, जब भी बारिश होती है पानी ऐसे ही रुक जाता है। चार साल पहले नगरपालिका ने सीमेंट का फर्श डलवाया था, तब से हर साल बरसात के मौसम में पानी दुकानों में घुस जाता है। अध्यक्ष ने स्पष्ट घोषणा की, जब फर्श डाला गया था तब दूसरी पार्टी की सरकार थी और हम भी तो अध्यक्ष न थे। घबराएं नहीं, हमने इस समस्या को अच्छी तरह पकड़ लिया है, जिस पर गहन विचार किया जा रहा है, पानी की ज्यादा बेहतर निकासी के लिए उम्दा योजना बनाई जा रही है। फिलहाल नालियां साफ करने का आदेश दे दिया है।
दुकानदारों ने कहा पांच साल से ऐसा ही हो रहा है। पुरानी बुरी बातें भूल जानी चाहिए, अध्यक्ष ने कहा, हम समय निकाल कर देखेंगे कि पहले क्या क्या गलत हो चुका है। आपको यह जानकर खुशी होगी, कामकाज दोबारा शुरू हो चुका है और हमने इस मामले को राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के अंतर्गत ले लिया है। हम क्षेत्र की साफ-सफाई के बारे में बहुत अच्छे तरीके से बैठकें करने जा रहे हैं जिसमें गहन विचार विमर्श किया जाएगा। आपको पता ही है अच्छे काम को बढिय़ा तरीके से करने में वक्त तो लगता ही है। यह तो नीली छतरी वाले की गलती के कारण बारिश ज्यादा हो गई, नहीं तो आपको कोई दिक्कत नहीं होती, प्राकृतिक आपदा के सामने किसका बस चलता है। हमने मेहनत कर महामारी पर भी काबू लगभग पा ही लिया है। आप भी ध्यान रखें। दुकानदारों ने वापस बाजार पहुंच कर देखा तो बच्चे बारिश के पानी में कागज की कश्ती से खेल रहे थे, बोले, देखो पापा, आप भी बचपन में ऐसा ही करते थे न?
प्रभात कुमार
स्वतंत्र लेखक