मां चामुंडा के द्वार पांवों में फंसता है प्रसाद

प्रवेश द्वार पर बिखरे जूते, पुजारी की जगह सुरक्षा कर्मी, आस्था की डोर तोडऩे में नहीं कोई कसर

दिव्य हिमाचल ब्यूरो – श्रीचामुंडा
माता जी चामुंडा के दरबार में अगर आप जाते हैं, तो वहां की बदहाली की तस्वीर आपकी आस्था की डोर को तोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। प्रदेश ही नहीं, देश के अति सुंदर शक्तिपीठों में शुमार मां शक्ति का यह दरबार लचर प्रशासनिक व्यवस्था, गंदगी के अंबार और पुजारियों की जगह खड़े होमगाड्र्स या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की अदाओं का शिकार है। मंदिर के प्रवेश द्वार में इधर-उधर फैले जूते आपका स्वागत करेंगे।

उसके बाद जैसे ही आप आगे बढ़ेंगे, आपके पांवों में फंसता प्रसाद किसी मॉइश्चराइज क्रीम से ज्यादा चिकनाहट पैदा करता है और यह चिकनाहट कई दिनों तक आपके पांव रुखा नहीं होने देती है। फिर आप देखेंगे कि प्रसाद से घिरे मां शेर और साथ पड़ी गंदगी से सनी धाती आपका स्वागत कर रही है। मैया के दर पर पुजारी की जगह कोई सुरक्षा कर्मी आपकी आस्था पर चोट करने को बिलकुल तैयार है। वह प्रसाद के ऊपर ऐसा खड़ा होता है, मानों यह उसके लिए बिछोना है। आसपास पड़ी टूटी-फूटी चूडिय़ां बताएंगी कि यहां श्रद्धालु जो कुछ भी अर्पित करते हैं, उनका क्या हश्र होता है। साथ ही पुजारी के स्थान पर सुरक्षा कर्मी आपको बिना तिलक, दर्शन के ‘आगे चल’ बोल देता है।

शिव मंदिर की सीढिय़ां जरा संभल कर उतरें श्रद्धालु

अब आपको दर्शन कराते हैं शिव मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ के। पहले तो अब यहां दर्शन करने के लिए आपको झुककर जाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां शिव भगवान ‘आधुनिकीकरण’ के दौरे से गुजर रहे हैं। पर यहां पहुंचने से पहले रास्ते के दोनों तरफ पड़ी गंदगी यहां की प्रशासनिक सोच से रू-ब-रू करवाएगी। आप यहां सीढिय़ां संभल कर उतरें, क्योंकि प्रसाद से बना ‘मॉइश्राइजर’ आपके पांव टिकने नहीं देता है। शिव मंदिर के बाहर अब एक परंपरा शुरू हो गई है… यहां श्रद्धालु दो-तीन ईंटें-पत्थर खड़ा कर निर्माण के लिए मन्नत मांग रहे हैं, जबकि यहां ऐसी कोई परंपरा नहीं रही है। साथ ही जब मंदिर सौंदर्यीकरण आगे बढ़ेगा, तो क्या प्रशासन इन्हें हटा देगा? अगर हां, तो इसे अभी क्यों नहीं रोका जा रहा है?