पांच दिन तक नहीं सोए सैंज घाटी के लोग

By: Jul 15th, 2023 12:55 am

कई इलाकों में नहीं पहुंच रही मदद, घाटी को डेंजर जोन घोषित करने की मांग

जसवीर ठाकुर-सैंज
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र सैंज में त्राहिमाम मचा हुआ है। बाढ़ प्रभावित कई लोगों के पास राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। वही लोगों ने रात के अंधेरे में कई रातें गुजारी हैं । इसके अलावा आज सैंज क्षेत्र का दौरा करने पर कई खुलासे हुए हैं। यहां आक्रोशित लोगों ने एनएचपीसी की पार्वती परियोजना पर आरोप लगाए हैं कि पार्वती परियोजना ने अपने डैम खोले और तभी यह भारी तबाही मची है। वहां के स्थानीय लोगों में इतना खौफ है कि वे वहां पर अब नहीं रहना चाहते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब बाढ़ आई तो उन्होंने अपने परिवार बच्चों को आनन-फानन में उठाकर भागे। उनका कहना है कि वह वहां पर नहीं रहना चाहते हैं। उनको डर है कि आगे आने वाले समय में भी ऐसी स्थिति में उन्हें इस तरह की परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा। स्थानीय लोगों ने बताया कि पांच दिनों से दिन-रात सो नहीं पाए हैं। स्थानीय दुकानदारों ने अपने परिवारों को रिश्तेदारों के पास पहुंचा दिया है।

इसलिए स्थानीय लोगों ने मांग की है कि सैंज बाजार को डेंजर जोन घोषित करें और उन्हें अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। जहां उनका रहने की व्यवस्था और व्यापार की व्यवस्था हो सके ताकि वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। प्रभावित क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि सैंज में आपदा प्रबंधन को लेकर माक ड्रिल की तैयारियों के बाद भी व्यवस्था पूरी तरह से धरी की धरी रह गई है और इसकी पोल जब बारिश और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में एकाएक तबाही मची तो खुलकर सामने आई है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि माक ड्रिल के ऊपर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी एक इंच का भी काम बाढ़ प्रभावित और पीडि़त लोगों के लिए काम नहीं आया है। यह मात्र कागजों में ही खानापूर्ति करने तक मॉक ड्रिल का ड्रामा सारा पूरा होता दिखा है। धरातल में लोगों को कोई भी सुविधा नहीं मिली है। जिसे लोग काफी आक्रोशित नजर आए हैं।

पूरे परिवार को दी जा रही एक कंबल और एक सीट
बाढ़ प्रभावित लोगों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से प्रभावित लोगों को एक कंबल और एक सीट रहने के लिए दी जा रही है, जिससे परिवार के चार से पांच सदस्य हैं। वह एक कंबल और सीट के सहारे खुले आसमान के नीचे त्रिपाल लगाकर कैसा अपना सिर छुपा सकते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जो लोग प्रभावित हुए हैं। वह कैसे अपना जीवन बसर कर रहे होंगे। इस बात का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है। उन्होंने और मदद की अपील की है।

प्रभावित क्षेत्र में नहीं पहुंचे सिलेंडर, लकडिय़ों पर खाना बनाने को मजबूर, कई स्थानों तक नहीं मिली मदद
प्रभावित क्षेत्र में गैस की सप्लाई न पहुंचने की सूरत में बाढ़ प्रभावित लोग लकडिय़ों पर खाना बनाकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते लंगर में विवश नजर आए हैं। वहीं प्रशासन के ऊपर स्थानीय लोगों ने आरोप जड़ा है कि अभी तक वहां पर सिलेंडर नहीं पहुंचाई गई है । जबकि प्रशासन का तर्क है कि प्रभावित क्षेत्र के लिए गैस की सप्लाई भेज दी गई है । लेकिन धरातल पर कुछ और ही तस्वीर सहज में पहुंचने पर नजर आई है। जो कि बाढ़ प्रभावितों ने अपनी उपस्थिति बनाकर के प्रशासन और सरकार की पोल खोलकर रख दी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र सैंज में भले ही सरकार और प्रशासन राहत और फौरी मदद के दावे करते नहीं थक रहा है, लेकिन धरातल पर जब जायजा लिया गया तो फिर लोगों का कहना है कि उन्हें ना तो अभी तक कोई राहत राशि मिली है और ना ही प्रशासन की ओर से जो राशन दिया जा रहा है। वह उन्हें अभी तक जो मिला है। लोग जैसे तैसे करके अपने स्तर पर ही व्यवस्था कायम करते नजर आए हैं।

75 मकान मालिकों और किराएदारों को दी मदद
23 मकान मालिकों और 52 किरायेदारों को कुल 25 लाख 60 हजार की फौसी राहत राशि सरकार ने प्रशासन के माध्यम से मुहैया करवा दी गई है और इस दिशा में आगे भी कार्य जारी है। तहसीलदार सैंज हीरा चंदबन ने बताया कि जैसे-जैसे प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया जा रहा है और जो प्रभावित लोग हैं । उनकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। प्रशासन और सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत बाढ़ प्रभावित लोगों को हर संभव मदद करवाई जा रही है


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