हिमाचल में अब नौकरी के लिए TET की तरह देना होगा CET, बदलेगा क्लास थ्री भर्ती फार्मेट
राजेश मंढोत्रा—शिमला
हिमाचल प्रदेश में क्लास थ्री भर्ती का फॉरमेट बदलने वाला है। नई भर्ती एजेंसी को लेकर जो तैयारियां चल रही हैं, उसमें बहुत कुछ नयापन दिखने वाला है। सरकार नई भर्ती एजेंसी बना रही है, जिसका जिम्मा सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी दीपक सानन को सौंपा है। कमेटी ने अपनी पहली रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि क्लास थ्री भर्ती दो फेज में होगी। इसमें सीबीटी यानी कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट और सीईटी यानी कॉमन इलिजिबिलिटी टेस्ट। नई भर्ती एजेंसी में पेपर की बजाय डिजिटल पर फोकस होगा। यानी कि भंग किए गए कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर की तरह ओएमआर में टेस्ट नहीं लिया जाएगा।
कॉमन इलिजिबिलिटी टेस्ट
कमेटी ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा है स्टेट लेबल पर एक कॉमन इलिजिबिलिटी टेस्ट होगा, जिसमें 12वीं से लेकर गे्रजुएट तक के सभी अभ्यर्थी भाग लेंगे। इस टेस्ट में जो पास होगा, वह फिर आगे विभिन्न पदों पर होने वाली भर्ती के लिए पात्र होगा। उदाहरण के लिए प्रदेश मेंं टीचर भर्ती के लिए टेट होता है। यानी कि टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट। इस टेस्ट में जो पास होता है, वही अभ्यर्थी फिर आगे जेबीटी या टीजीटी बनने के लिए पात्र होता है। नई भर्ती एजेंसी भी इसी तरह का टेस्ट लेगी, जिसे सीईटी यानी कॉमन इलिजिबिलिटी टेस्ट का नाम दिया गया है। इस टेस्ट में जो पास होगा, वह फिर आगे किसी भी पद मसलन जेओआईटी, क्लर्क, टीचर्ज, जेई या फिर कोई भी पद हो उसके लिए पात्र होगा। पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी यही पैटर्न अपनाया जा रहा है, लेकिन वहां अभी भी टेस्ट ओएमआर शीट पर लिया जा रहा है, लेकिन हिमाचल में कम्प्यूटर पर ही टेस्ट लिया जाएगा।
सरकार को पसंद आई रिपोर्ट
नई भर्ती एजेंसी को लेकर कमेटी ने पहली रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जो कि सरकार को पसंद आ गई है। अब अक्तूबर महीने तक दूसरी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, जिसके बाद नई भर्ती एजेंसी फाइनल होगी।
कौन-कौन होगा
नई भर्ती एजेंसी में एक अध्यक्ष होगा। इसके अलावा एक उच्च प्रशासनिक अधिकारी होगा, जो देखेगा कि पेपर लीक की गुंजाइश न हो और पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही एक और अधिकारी होगा, जो टेंडर से लेकर फाइनांस प्रक्रिया को देखेगा। चूंकि भंग कर्मचारी चयन आयोग में सदस्यों की संख्या ज्यादा थी, लेकिन अब 15 अंकों की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है, तो नई एजेंसी में सदस्यों की संख्या को सीमित रखने की सिफारिश की गई है।
अभ्यर्थियों का फायदा
कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर हर पद के लिए अलग-अलग टेस्ट लेता था, लेकिन नई भर्ती एजेंसी में ऐसा नहीं होगा। उदाहरण के लिए चयन आयोग हमीरपुर ने अगर साल में 50 टेस्ट निकाले हैं, तो अभ्यर्थी उन सभी टेस्टों में भाग लेता था और अलग-अलग पदों के लिए 50 टेस्ट देने पड़ते थे, जिससे समय की बर्बादी होती थी। साथ ही दिमाग पर भी ज्यादा बोझ पड़ता था, लेकिन अब उसे सीबीटी और सीईटी ही देने होंगे।
नई एजेंसी का नाम
नई भर्ती एजेंसी का नाम राजकीय चयन आयोग हो सकता है। हालांकि यह एक सुझाव है। सरकार इसमें बदलाव भी कर सकती है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो नई भर्ती एजेंसी अपना पहला टेस्ट अढ़ाई से तीन महीने में ले सकती है।