पेयजल योजना पैरवी खड्ड को वन मंत्रालय से मिली मंजूरी
आठ साल से अधर में लटकी थी राजगढ़ को स्थायी पेयजल उपलब्ध करवाने वाली योजना, स्वीकृति मिलते ही लोगों में जगी आस
बीआर चौहान-यशवंतनगर
करीब आठ वर्ष से अधर में लटकी राजगढ़ शहर की उठाऊ पेयजल योजना पैरवी खड्ड को वन मंत्रालय से स्वीकृति मिल गई है, जिससे राजगढ़ शहर की पेयजल समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा। इसकी पुष्टि सहायक अभियंता जल शक्ति विभाग राजगढ़ बीके कौंडल ने की है। राजगढ़ शहर की पेयजल समस्या से निपटने के लिए वर्ष 2015 में 6.19 करोड़ की उठाऊ पेयजल योजना पैरवी खड्ड स्वीकृत की गई थी, जिसका शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह द्वारा वर्ष 2015 में किया गया था। आठ वर्ष बीत जाने के बावजूद भी इस योजना का निर्माण कार्य एफसीए की स्वीकृति न मिलने के कारण अधर में लटका हुआ था। वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार बनने पर यह योजना खटाई में पड़ गई थी।
विभागीय सूत्रों के अनुसार जहां स्टोरेज टैंक निर्मित किया जाना प्रस्तावित है वह वन आरक्षित भूमि के अधीन आती है। विभाग द्वारा करीब छह वर्ष पूर्व एफसीए का मामला तैयार करके सरकार को भेजा गया था, परंतु आज तक एफसीए की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। राजगढ़ शहर में पूरे वर्ष भर पेयजल की समस्या बनी रहती है और गर्मियों के मौसम में यह समस्या और भी विकराल रूप धारण करती है। जल शक्ति विभाग के पास वर्तमान में केवल एक कंडानाला पेयजल योजना से शहर की जलापूर्ति की जा रही है। बता दें कि वर्ष 2005 में राजगढ़ शहर की करीब अढ़ाई हजार आबादी को देखते हुए कंडानाला पेयजल योजना कार्यान्वित की गई थी जोकि उस आबादी के अनुसार पर्याप्त थी। वर्तमान में राजगढ़ शहर की आबादी बढक़र सात हजार से अधिक हो चुकी है। हालत यह है कि वार्ड नंबर छह और सात के ग्रामीण क्षेत्रों में सप्ताह में केवल एक या दो बार पानी नसीब होता है। जलापूर्ति इतनी कम होती है कि इन वार्डों के किसानों को अपने मवेशियों के लिए पानी उपलब्ध नहीं होता है। उधर सहायक अभियंता जल शक्ति विभाग राजगढ़ बीके कौंडल ने बताया कि उठाऊ पेयजल योजना पैरवी खड्ड के एफसीए मामले की वन मंत्रालय से स्वीकृति मिल गई है। राजगढ़ शहर के लिए अमृत योजना के तहत छह करोड़ की गिरि उठाऊ पेयजल योजना स्वीकृत की गई थी जिसे पैरवी खड्ड पेयजल योजना में शामिल किया गया है।