आरबीआई के ऋण संबंधी नए दिशा निर्देश

By: Sep 17th, 2023 11:20 pm

भारतीय रिज़र्व बैंक ग्राहकों को राहत देने के लिए कई तरह के कानूनों और विनियमों में बदलाव ला रहा है। इनमें से कुछ दिशानिर्देश तो सालों से बदले नहीं गए, जबकि बैंकिंग व लेन-देन एक पूरे बदलाव चक्र से आज डिजिटल क्रांति के युग में पदार्पण कर चुका है। इसी के चलते ऋण लेना, चुकाना तथा इस पूरी प्रक्रिया व उससे संबंधित दस्तावेज, नियम कानून इत्यादि सबमें बड़ा बदलाव आ चुका है।

लेखक : करुणेश देव

उधारकर्ताओं की बढ़ती शिकायतों के चलते, जिन्हें ऋण चुकाने के पश्चात अपनी संपत्ति के दस्तावेज वापस प्राप्त करने में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कुछ नए दिशानिर्देशों को जारी किया है। बैंकिंग नियामक ने ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि बैंक ऋण के भुगतान पर चल और अचल संपत्ति के दस्तावेज समय पर व बिना किसी त्रुटि के जारी किए जाएं, जिससे ग्राहकों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। ये नए दिशानिर्देश वर्ष 2003 से लागू विभिन्न विनियमित संस्थाओं को जारी किए गए निष्पक्ष व्यवहार संहिता पर दिशानिर्देशों का हिस्सा हैं।

नियामक ने चार तरह के निर्देश दिए हैं :

1) विनियमित संस्थाएं सभी मूल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों को जारी करेंगी और ऋण खाते के पूर्ण पुनर्भुगतान निपटान के बाद 30 दिनों की अवधि के भीतर किसी भी रजिस्टरी में पंजीकृत शुल्क हटा देंगी।
2) उधारकर्ता को उसकी प्राथमिकता के अनुसार, मूल संपत्ति दस्तावेज़ या तो उस बैंक की शाखा से एकत्र करने का विकल्प दिया जाएगा जहां ऋण खाता संचालित किया गया था या विनियमित इकाई के किसी अन्य कार्यालय से जहां दस्तावेज़ उपलब्ध हैं।
3) प्रभावी तिथि पर या उसके बाद जारी किए गए ऋण स्वीकृति पत्रों में मूल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों की वापसी की समय सीमा और स्थान का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जाएगा।
4) एकमात्र उधारकर्ता की मृत्यु के मामले में, बैंक के पास कानूनी उत्तराधिकारियों को मूल संपत्ति दस्तावेज वापस करने की पूर्व निर्धारित प्रक्रिया होगी। यह प्रक्रिया अन्य समान नीतियों और प्रक्रियाओं के साथ विनियमित इकाई की वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाएगी।

विलंब की स्तिथि में क्या होगा : यदि बैंक पूरी राशि चुकाने के बाद 30 दिनों के भीतर मूल संपत्ति दस्तावेजों को जारी करने में विफल रहता है, तो उक्त इकाई उधारकर्ता को इस तरह की देरी के लिए सूचित करेगी और यदि देरी पंजीकृत इकाई के कारण हुई है, तो उसे उधारकर्ता को मुआवजा देना होगा। आरबीआई ने विलंब के प्रत्येक दिन के लिए 5,000 की दर से मुआवजा निर्धारित किया है। दस्तावेज खोने कि परिस्तिथि: यदि कोई बैंक दस्तावेज़ को आंशिक या पूर्ण रूप से खो देता हैए तो उसे संपत्ति दस्तावेजों की प्रमाणित/डुप्लिकेट प्रतियां प्राप्त करने में उधारकर्ता की सहायता करनी होगी और मुआवजे का भुगतान करने के अलावा संबंधित लागत भी वहन करनी होगी। हालांकि, ऐसे मामलों में ऐसी संस्थाओं को प्रक्रिया पूरी करने के लिए 30 दिनों के अतिरिक्त दिन उपलब्ध होंगे।

यह कब लागू होगा: ये निर्देश उन सभी मामलों पर लागू होंगे जहां मूल संपत्ति दस्तावेजों की रिहाई पहली दिसंबर, 2023 को या उसके बाद होगी।

चलते-चलते
विनियमित संस्थाओं को पूर्ण पुनर्भुगतान प्राप्त करने और ऋण खाता बंद करने पर सभी चल/अचल संपत्ति दस्तावेज़ जारी करने होते हैं। हालांकि, देखा यह गया है कि विनियमित संस्थाएं ऐसे चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों को जारी करने में अलग-अलग प्रक्रियाओं व प्रथाओं का पालन करती हैं, जिससे ग्राहकों की शिकायतें और विवाद होते हैं। इस दिशा में भारतीय रिज़र्व बैंक का ये प्रयास निश्चित रूप से ग्राहक हित में है।

संपर्क: karuneshdev@rediffmail.com

नोट : यहां दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य से दी गई है। किसी भी निवेश से पहले उसकी पूरी जानकारी अवश्य लें।