कर्मचारियों में महामुकाबला आज, इस महासंघ के स्थापना दिवस से पहले शक्ति प्रदर्शन की तैयारी

By: Nov 19th, 2023 10:02 pm

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के स्थापना दिवस से पहले शक्ति प्रदर्शन की तैयारी, आमने-सामने दोनों गुट

विशेष संवाददाता-शिमला

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के स्थापना दिवस पर दो गुट आमने-सामने आ गए हैं। कर्मचारियों की सियासत का महामुकाबला कांगड़ा में होने वाला है। तमाम कर्मचारी धर्मशाला और टांडा में जुटेंगे। दोनों गुटों ने 20 नवंबर यानी सोमवार को स्थापना दिवस मनाने का फैसला किया है। खास बात यह है कि दोनों गुटों का स्थापना दिवस कांगड़ा में ही आयोजित होने वाला है। स्थापना दिवस को राज्य सरकार के सामने शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री यह फैसला करेंगे कि सक्रिय दोनों गुटों में से राज्य सरकार संयुक्त सलाहकार समिति का निमंत्रण किसे देती है और जिस गुट को निमंत्रण मिलेगा प्रदेश में कर्मचारियों की सत्ता उसी गुट के हाथ में रहेगी। ऐसे में दोनों ही गुटों ने कर्मचारियों की ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने की तैयारी की है।

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का सम्मेलन टांडा में होने वाला है जबकि अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने धर्मशाला में सम्मेलन की तैयारी की है। गौरततलब है कि 20 नवंबर 1966 को अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की स्थापना हुई थी। इसके बाद कर्मचारी महासंघ हर साल इस दिन को स्थापना दिवस के रूप में मनाता है, लेकिन कर्मचारियों की गुटबाजी आयोजन पर इस बार भी हावी नजर आ रही है। सबसे पहले अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने 20 नवंबर को कार्यक्रम का ऐलान किया था। इसके बाद अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने भी कार्यक्रम का ऐलान कर दिया और अब यह दोनों आयोजन कांगड़ा में ही तय हो गए हैं। दोनों संगठनों ने पूर्व कर्मचारियों को भी न्योता दिया है।

जबरन बुलाने की शिकायत

अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने टांडा में होने वाले स्थापना दिवस के लिए कर्मचारियों को जबरन बुलाने का भी आरोप लगाया है। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के स्थापना दिवस कार्यक्रम में बुलावे को लेकर प्रिंसीपल की तरफ से जारी पत्र को भी शेयर किया जा रहा है। अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर ने बताया कि कर्मचारियों को जबरन बुलाया जा रहा है और वे इसका कड़ा विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में कर्मचारियों को स्वेच्छा से हिस्सा लेने की आजादी होनी चाहिए थी, लेकिन पत्र जारी होने से साफ है कि कर्मचारियों को कार्यक्रम में आने के निर्देश दिए जा रहे हैं।